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बिहारः जदयू और भाजपा के बीच तकरार की वो पांच वजहें, जिससे टूटने के कगार पर पहुंची नीतीश कुमार सरकार

locationनई दिल्लीPublished: Aug 09, 2022 10:11:32 am

Submitted by:

Prabhanshu Ranjan

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को एनडीए का पुराना सहयोगी माना जाता है। भाजपा और जदयू ने एक साथ मिलकर लंबे समय तक बिहार में सत्ता संभाली है। लेकिन इससमय यह गठबंधन टूटने के कगार पर है। यहां जानिए इसके पांच बड़े कारण।

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Bihar Political Crisis Why Nitish Kumar Angry on BJP, Latest Situationबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को एनडीए का पुराना सहयोगी माना जाता है। भाजपा और जदयू ने एक साथ मिलकर लंबे समय तक बिहार में सत्ता संभाली है। लेकिन इससमय यह गठबंधन टूटने के कगार पर है। यहां जानिए इसके पांच बड़े कारण।

Bihar Political Crisis: बीजेपी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी की वजह से बिहार का सियासी तापमान लगातार चढ़ा हुआ है। आज जदयू के साथ-साथ राजद, कांग्रेस और हम के विधायकों की मीटिंग होनी है। जिसके बाद बिहार में नई सरकार के गठन की घोषणा की जा सकती है। नीतीश कुमार की गिनती एनडीए के सबसे पुराने सहयोगियों में होती थी, लेकिन बीते कुछ दिनों से वो भाजपा से नाराज है। इस कारण बिहार में एनडीए टूट के कगार पर पहुंच चुका है। यहां जानिए बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार की बीजेपी से नाराजगी की पांच बड़ी वजहें।

नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की भाजपा से इस समय नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है- पार्टी तोड़ने की साजिश। दरअसल भाजपा पर यह आरोप है कि वह जदयू को कमजोर करने की कोशिश में लगी है। गाहे-बगाहे जदयू के कई नेताओं ने इस संबंध में भाजपा पर हमला भी किया है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मत्री आरसीपी सिंह पर हुई कार्रवाई भी इसी वजह से की गई।

 

आरसीपी सिंह पर आरोप था कि वो भाजपा के साथ मिलकर जदयू को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा था कि आरसीपी सिंह बिहार के एकनाथ शिंदे होंगे। वो 20 विधायकों के साथ मिलकर जदयू को तोड़ने की कोशिश में थे। पार्टी से इस्तीफे के बाद आरसीपी ने जदयू को डूबता हुआ जहाज बताया था।


नीतीश कुमार बिहार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बढ़ते दखल से भी परेशान थे। बीते दिनों में जब केंद्रीय मंत्रीमंडल में जदयू से मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही थी, तब कहा जा रहा था कि अमित शाह ने आरसीपी का नाम लिया। नीतीश और जदयू की नाराजगी इस बात से थी कि हमारी पार्टी से केंद्र में मंत्री कौन बनेगा यह हम तय करेंगे ना कि किसी दूसरी पार्टी का कोई नेता।


2019 के लोकसभा चुनाव के बाद जब केंद्र में मोदी सरकार के दूसरी कैबिनेट का गठन हो रहा था, तब यह मंत्री पद के बंटवारे को लेकर जदयू की नाराजगी सामने आई थी। भाजपा केंद्रीय मंत्रीमंडल में जदयू को एक मंत्री पद दे रही थी। जबकि जदयू की मांग यह थी कि बिहार से जितने भी मंत्री बनाए जाए उसमें से आधा जदयू के सांसद हो। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपा और जदयू को 16-16 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन यह संभव नहीं हो सका।


सीएए-एनआरसी जैसे मसलों पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मत बीजेपी से अलग है। इसका उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंच से प्रदर्शन भी किया है। जब सीएए-एनआरसी के मसले पर पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा था कि तब नीतीश ने इसे बिहार में लागू नहीं करने की बात कही थी। जबकि दूसरी ओर बिहार बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह समते अन्य कई बार इसकी मांग कर चुके थे।

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बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा भाजपा के विधायक हैं। सदन में कई मौकों पर वो सरकार को असहज करने वाले सवाल खड़े कर चुके हैं। स्पीकर के इस व्यवहार से सीएम नीतीश कुमार नाराज चल रहे थे। इसका सदन में एक बार उन्होंने सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शन भी किया। सदन में सीएम और स्पीकर के बीच जमकर बहस हुई थी। इसके अलावा भी बीजेपी से नीतीश कुमार की नाराजगी की कई और वजहें हैं। लेकिन सबसे प्रमुख वजहों में यहीं पांच है।

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