बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें है। यहां सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है। इस समय बिहार की एनडीए सरकार के पास कुल 126 विधायकों का समर्थन हासिल है। जिसमें भाजपा के 77, जदयू के 45 और जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा के चार विधायक है। भारतीय जनता पार्टी यहां दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन बीते कुछ दिनों से नीतीश कुमार बीजेपी से जैसे दूरी बना रहे हैं, उसे देखते हुए नए राजनीतिक समीकरण बनने की बात कही जा रही है।
महागठबंधन में राजद के 80, कांग्रेस के 19 व लेफ्ट के 16 विधायक-
वहीं दूसरी ओर बिहार के विपक्षी महागठबंधन के पास 115 विधायकों का समर्थन हासिल है। राजद इस समय बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है। बीते माह एआईएमआईएम के चार विधायकों को अपने साथ जोड़ने के बाद राजद ने भाजपा से सबसे बड़ी पार्टी होने का दर्जा हासिल किया था। अभी राजद के विधायकों की संख्या 80 है। जबकि कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 विधायक हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल है।
जदयू और महागठबंधन मिले तो 160 हो जाएगा संख्या बल-
बिहार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार बना सकते हैं। यदि नीतीश की पार्टी जदयू और महागठबंधन के सभी दल एक हो जाए तो संख्या बल 160 हो जाएगी। जो सरकार बनाने से 32 अधिक है। दूसरी ओर केवल जदयू और राजद मिल जाए तो भी बिहार में बड़े आराम से सरकार बन सकती है। क्योंकि जदयू के 45 और राजद के 80 विधायक मिलकर 125 होते हैं, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी 122 के संख्या बल से तीन अधिक है।
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बिहार के लिए कल का दिन महत्वपूर्ण, चलेगा मीटिंग का दौर-
इधर हालिया सियासी घटनाक्रम को देखते हुए कहा जा रहा कि कल का दिन बिहार के बहुत खास होगा। बता दें कि मंगलवार को नीतीश कुमार के साथ-साथ राजद नेता राबड़ी देवी, कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, हम के नेता जीतन राम मांझी ने अपने-अपने विधायकों की मींटिग बुलाई है। देखना दिलचस्प होगा कि कल की मीटिंग से क्या निर्णय निकलता है।