शुभ मुर्हूत में अपशकुन बनकर आते हैं राहुलः भाजपा
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने आगे कहा, “ऐसा क्यों होता है? जब देश तरक्की कर रहा होता है तो वह शुभ मुहूर्त में अपशकुन बनकर सामने आ जाते हैं। उनकी सोच इतनी छोटी होती है कि वह ऐसे ऐतिहासिक क्षण का स्वागत नहीं कर सकते, जब नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर बन जाएगा।”
गौरव भाटिया से पहले राहुल गांधी की मांग पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि संसद भवन बनाने का पूरा प्रयास नरेंद्र मोदी का है। नरेंद्र मोदी का कोई अच्छा काम राहुल गांधी को नहीं दिखता।
छाती पीटने लग जाते हैं राहुल गांधीः भाजपा
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने आग कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी यह कहा था। वे इसके बारे में सपने देख रहे थे, फिर वे भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए और जमीन पर कुछ भी खत्म नहीं कर सकते, वे बहुत बेकार हैं; और जब पीएम मोदी उनके सपनों को साकार करते हैं सच है, क्योंकि यह देश के हित में है, फिर भी वे छाती पीटने लगते हैं।”
राष्ट्रपति के काम को भाजपा ने किया सीमित
इधर कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके “बार-बार मर्यादा का अपमान” करने का आरोप लगाया है और आरोप लगाया है कि भाजपा-आरएसएस सरकार के तहत राष्ट्रपति कार्यालय को प्रतीकवाद तक सीमित कर दिया गया है।
केवल चुनावी कारणों से राष्ट्रपति का चयनः खरगे
खड़गे ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए लिखा, “ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने केवल चुनावी कारणों से दलित और आदिवासी समुदायों से भारत के राष्ट्रपति को चुना है। मालूम हो कि राजधानी दिल्ली में बना नया संसद कई मामले में बेहद खास है।
नई संसद की लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. वर्तमान के संसद भवन में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। इसका उद्घाटन 28 मई को होना है।
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