
जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (आइपीएस) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 देशभर के विचाराधीन कैदियों पर पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी। यानी यह प्रावधान एक जुलाई, 2024 से पहले दर्ज मामलों में सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा।
बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधान में पहली बार अपराध करने वालों (जिन्हें पहले कभी किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया हो) के लिए नई छूट दी गई है। अगर वह अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम अवधि की एक तिहाई अवधि तक हिरासत में रहा है तो उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा। आइपीएस की धारा 436-ए में यह प्रावधान निर्धारित अधिकतम अवधि का आधा था।
देश की जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे को लेकर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने देशभर की जेलों के अधीक्षकों से कहा कि वे संबंधित अदालतों के माध्यम से विचाराधीन कैदियों के आवेदनों पर कार्रवाई करें। कदम तीन महीने के भीतर उठाए जाएं। वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल ने कहा कि अगर प्रावधान अक्षरश: लागू किया जाता है तो जेलों में भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी।
जेलों में कब कितने कैदी
2019 4.81 लाख
2022 4.89 साख
2021 5.54 लाख
Updated on:
24 Aug 2024 12:53 pm
Published on:
24 Aug 2024 07:54 am
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
