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Bombay High Court: हाईकोर्ट ने किस मामले में कहा, रेप पीड़िता के बच्चे को गोद लेने के बाद डीएनए कराना सही नहीं

Rape victims Child adoption: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि रेप पीड़िता के बच्चे को गोद लेने के बाद उसका डीएनए टेस्ट कराना सही नहीं है। यह बच्चे के हित में नहीं है।

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Don't get DNA Test of Rape Victims child: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि रेप पीड़िता के बच्चे को गोद लेने के बाद उसका डीएनए टेस्ट कराना सही नहीं है। यह बच्चे के हित में नहीं है। जस्टिस जी.ए. सनप की एकल पीठ ने 17 साल की नाबालिग के साथ रेप और गर्भवती करने के मामले के आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले साल एक नाबालिग लड़की से रेप के बाद पैदा हुए बच्चे की डीएनए जांच का आदेश देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि मामले में बच्चे के पिता की पहचान अप्रासंगिक है। रेप के आरोपी ने याचिका में बच्चे के डीएनए की जांच की मांग की थी।

नाबालिग पीड़िता ने बच्चे को गोद लेने के लिए संस्था को दिया

बॉम्बे हाईकोर्ट के मामले में नाबालिग लड़की ने जन्म के बाद बच्चे को गोद लेने के लिए एक संस्था को दे दिया था। पीठ ने पुलिस से पूछा कि क्या बच्चे का डीएनए परीक्षण कराया गया? पुलिस ने बताया कि संस्था गोद लेने वाले माता-पिता की पहचान का खुलासा नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने कहा, यह ध्यान रखना उचित है कि बच्चे को गोद दिया गया है। बच्चे का डीएनए कराना उसके भविष्य के हित में नहीं होगा।

'आरोपी के तर्क को सही नहीं माना जा सकता'

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि आरोपी के इस तर्क को नहीं माना जा सकता कि पीड़िता ने सहमति से संबंध बनाए। हालांकि आरोपी 2020 से जेल में बंद है इसलिए जमानत दी जा सकती है। आरोप पत्र दायर किया जा चुका है लेकिन विशेष अदालत ने अब तक आरोप तय नहीं किए हैं। पीठ ने कहा कि अभी सुनवाई पूरी होने की संभावना बहुत कम है। आरोपी करीब तीन साल से जेल में है और उसे अब जेल में रखने की जरूरत नहीं है।

यह है मामला

आरोपी को 2020 में गिरफ्तार किया गया था। उसने जमानत याचिका में दावा किया कि पीड़िता से संबंध सहमति से बने थे। पीड़िता को इसकी समझ थी। पुलिस की एफआईआर में आरोप लगाया गया कि उसने नाबालिग पीड़िता के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। इससे वह गर्भवती हो गई।

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