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Caste Census in Bihar: जातिगत जनगणना का CM नीतीश कुमार का बड़ा प्लान, हिंदुओं सहित मुस्लिम जातियों की भी होगी गिनती

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों की जातियों की गणना करने का फैसला लिया है। नीतीश कुमार ने कहा कि सब लोगों का चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों, इसके तहत पूरा का पूरा आकलन किया जाएगा और इसके लिए बड़े पैमाने पर और तेजी के साथ काम किया जाएगा।

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Caste Census in Bihar: जातिगत जनगणना का CM नीतीश कुमार का बड़ा प्लान, हिंदुओं सहित मुस्लिम जातियों की भी होगी गिनती

Caste Census in Bihar: जातिगत जनगणना का CM नीतीश कुमार का बड़ा प्लान, हिंदुओं सहित मुस्लिम जातियों की भी होगी गिनती

बिहार में जाति आधरित जगनणना पर मुहर लग गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि प्रदेश में जाति आधारित गणना की जाएगी। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से राज्य में जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया गया। आपको बता दें कि पिछले कुछ वक्त से बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर जमकर सियासत हो रही है और इस मामले को लेकर राजद और जदयू एक स्वर में अपनी आवाज को बुलंद कर रहे थे। जिसके बाद सर्वदलीय बैठक में अंतत: जाति आधारित गणना कराने पर सहमति बनी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कहा कि बिहार में सभी धर्मों की जातियों और उपजातियों की गणना कराई जाएगी, जिससे मुसलमानों के भीतर भी उपजाति निकल कर आएगी। नीतीश कुमार ने कहा कि सभी लोगों का, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म के हों, इसके तहत पूरा का पूरा आकलन किया जाएगा और इसके लिए बड़े पैमाने पर और तेजी के साथ काम किया जाएगा। इससे ये साफ हो गया है कि बिहार में जाति आधारित गणना सिर्फ हिंदू जातियों के लिए ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय और बिहार में रह रहे जितने भी धर्म के लोग हैं सबकी गिनती की जाएगी।

नीतीश कुमार ने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार की ओर से जो भी संभव हो मदद दी जाएगी, जनगणना कार्य में लगाए जाने वाले लोगों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। आपको बता दें आजादी के बाद से अब तक जितनी बार भी जनगणना हुई है उसमें मुस्लिमों को सिर्फ धर्म के आधार पर देखा जाता रहा है। लेकिन बिहार में होने वाली जाति आधारित गणना में ऐसा नहीं होगा। उन्हें महज धर्म के आधार पर नहीं देखा जाएगा बल्कि उसमें मौजूद जातियों, उपजातियों की भी गणना होगी।

इससे पहले साल 1931 की जनगणना में मुस्लिम की गिनती धार्म्क और जातीय दोनों ही आधार पर की गई थी। मगर 1941 की जनगणना में मुस्लिम लीग ने मुस्लिम समुदाय से अपनी-अपनी जाती को लिखवाने के बजाय इस्लाम धर्म लिखवाने पर जोर दिया था। जिसके बाद हिंदू महासभा ने हिंदुओं से जाति के बजाय हिंदू धर्म लिखवाने की बात कही थी। फिर न तो मुस्लिमों की किसी जाति की गिरती की गई और न ही हिंदुओं की।

हालांकि जनगणना के दौरान अनुसूचित जाति और जनजाति की गिनती की जाती रही है, जिसमें मुस्लिम दलित जातियां शामिल नहीं हैं। ऐसे में बिहार में संपूर्ण रूप से जाति आधारित गणना होगी। ताकि एक स्पष्ट आंकड़ा सभी के सामने आ सके और फिर उस आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ हर एक तक पहुंचाया जा सके।

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नीतीश कुमार ने बताया "हम सब लोगों की राय है, लोगों को आगे बढ़ाने का, लोगों के फायदे के लिए ये काम हो रहा है। हम लोगों की योजना यही है कि सबका ठीक ढंग से विकास हो सके। जो पीछे हैं, उपेक्षित हैं, उसकी उपेक्षा न हो। सब आगे बढ़ें।" गौरतलब हे की बुधवार को जातीय जनगणना के मुद्दे पर जिस समय सर्वदलीय दल बैठक हो रही थी, उसी से कुछ देर पहले पहले बीजेपी ने मुस्लिम जातियों की गिनती की जाने का मुद्दा उठाया था।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हम जातीय जनगणना के विरोध में नहीं है, लेकिन मुस्लिम जाति की श्रेणी में रख कर उनकी जनगणना जाति के आधार पर कराई जानी चाहिए। मुस्लिम वर्ग में भी कई जातियां हैं और उन्हें भी जातीय रूप से श्रेणीबद्ध करके उनकी गिनती की जानी चाहिए। जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने बैठक के दौरान सभी धर्मों की जातियों की गिनती करने की मांग पर मुहर लगा दी।

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