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बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक, जानिए किसने क्या कहा?

Caste census report made public: आखिरकार लंबे समय के बाद आज बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को राज्य में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी। सरकार की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है।

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 Caste census report made public in Bihar, know who said what?


आखिरकार लंबे समय के बाद आज बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को राज्य में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी। सरकार की तरफ से जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। इसमें 81.99% हिन्दू, और मुस्लिम 17.70 फीसदी बताया गया है। वहीं, .31 में अन्य धर्म और किसी धर्म को नहीं मानने वाले शामिल हैं। सरकार की रिपोर्ट सामने आने के बाद अब नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है, आइए जानते है किस नेता ने क्या कहा? लेकिन उससे पहले ये जान लेते है कि बिहार में किस जाती के कितने लोग हैं?


बिहार में किस जाती के कितने लोग?

जातीय जनगणना के मुताबिक बिहार में मुसलमानों की संख्या जहां 17. 7088 फीसदी है। वहीं, 81.99 प्रतिशत हिंदू है। हिंदुओं में सबसे ज्यादा 14. 2666 फीसदी यादव, 2.8785 फीसदी कुर्मी, 4.2120 फीसदी कुशवाहा, 3.6575 प्रतिशत ब्राह्मण, 2.8683 प्रतिशत भूमिहार, 3.4505 प्रतिशत राजपूत, 3.0872 प्रतिशत मुसहर, 2.6086 फीसदी मल्लाह, 2.3155 फीसदी बनिया, 0.60 फीसदी कायस्थ, 36.01 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ा वर्ग, 27.12 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 19.6518 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 1.6824 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 15.5224 प्रतिशत सवर्णों की जनसंख्या है।

सभी वर्गों के विकास के लिए कार्रवाई की जाएगी- CM

आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई ! जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है।

जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।


जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी- लालू यादव

आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं। बीजेपी की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया। ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और तरक्की के लिए समग्र योजना बनाने एवं हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नज़ीर पेश करेंगे।

सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो। केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सत्ता से बेदखल करेंगे।

बिहार आज फिर एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना- तेजस्वी यादव

कम समय में जाति आधारित सर्वे के आँकड़े एकत्रित एवं उन्हें प्रकाशित कर बिहार आज फिर एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना। दशकों के संघर्ष ने एक मील का पत्थर हासिल किया। इस सर्वेक्षण ने ना सिर्फ वर्षों से लंबित जातिगत आंकड़े प्रदान किये हैं बल्कि उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति का भी ठोस संदर्भ दिया है। अब सरकार त्वरित गति से वंचित वर्गों के समग्र विकास एवं हिस्सेदारी को इन आंकड़ों के आलोक में सुनिश्चित करेगी।

इतिहास गवाह है भाजपा नेतृत्व ने विभिन्न माध्यमों से कितनी तरह इसमें रुकावट डालने की कोशिश की। बिहार ने देश के समक्ष एक नजीर पेश की है और एक लंबी लकीर खींच दी है सामाजिक और आर्थिक न्याय की मंज़िलों के लिए। आज बिहार में हुआ है कल पूरे देश में करवाने की आवाज उठेगी और वो कल बहुत दूर नही है। बिहार ने फिर देश को दिशा दिखाई है और आगे भी दिखाता रहेगा। जय हिंद। जय बिहार

अपने काम का रिपोर्ट कार्ड जारी करे सरकार- BJP

बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर कहा कि सरकार को अपने काम का रिपोर्ट कार्ड जारी करना चाहिए था। रिपोर्ट सार्वजनिक होने से गरीबों में भ्रम की स्थिति पैदा होगी।

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