
कर्नाटक और तमिलनाडु में चल रहे कावेरी नदी जल-बंटवारा विवाद पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक पीठ गठित करने पर सहमत हो गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के आग्रह करने पर कर्नाटक सरकार को पानी छोड़ने का निर्देश दिया है।
तमिलनाडु सरकार ने 24 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग की थी
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कर्नाटक सरकार से 24 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने की मांग की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) से कर्नाटक सरकार को अगले 15 दिनों के लिए पड़ोसी राज्य के लिए कावेरी नदी से 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया।
पानी की कमी से जूझ रहे दोनों राज्य
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश तब आया है , जब इस बार मानसून के दौरान कम बारिश के चलते कर्नाटक में कावेरी नदी पर बने डैम में पहले से पानी की कमी है। जिसके चलते कर्नाटक के किसान संगठन तमिलनाडु के लिए पानी छोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं। वहीं, इस मामले में 20 अगस्त को कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सीडब्ल्यूएमए से अपने आदेश की समीक्षा करने की अपील की थी।
विपक्ष पर लगाया राजनीति का आरोप
पत्रकारों से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि जलाशय में (कावेरी नदी का) प्रवाह कम हो गया है। इसलिए हम इस मुद्दे पर बुधवार को चर्चा करना चाहते हैं। कावेरी नदी जल विवाद के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए उन्होंने विपक्षी दलों को दोषी ठहराया।
उन्होंने कहा कि हम किसानों का सम्मान करना चाहते हैं, हम अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहते हैं, हम सभी का सम्मान करना चाहते हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) के कुछ मित्र इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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Published on:
21 Aug 2023 03:36 pm
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