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CDS Bipin Rawat हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद भी थे जिंदा, हिंदी में कही थी कुछ बात, बचावकर्मी ने सुनाई आंखों देखी

तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए सेना के Mi-17V5 विमान के क्रैश होने के बाद भी CDS Bipin Rawat होश में थे। ये दावा घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले राहत एवं बचावदल के कर्मी ने किया है। उन्होंने बताया कि सीडीएस रावत ने हादसे के बाद अपना नाम भी बताया था। हालांकि हादसे में उनके शरीर के निचला हिस्सा काफी जल गया था

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Dheeraj Sharma

Dec 09, 2021

CDS General Bipin Rawat

नई दिल्ली। तमिलनाडु ( Tamil Nadu ) के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश ( Helicopter Crash ) के बाद सीडीएस जनरल बिपिन रावत ( CDS Bipin Rawat ) होश में थे। वे जिंदा थे और बात भी कर रहे थे। हालांकि उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन बचावकर्मी ने हादसे के बाद सीडीएस बिपिन रावत के मुंह से जिन शब्दों को सुना उसकी जानकारी दी। सबसे पहले चॉपर के बिखरे पड़े मलबे के पास पहुंचे राहत और बचाव दल में शामिल शख्स का दावा है कि हादसे के बाद Mi-17V5 के मलबे से निकाले जाने पर सीडीएस रावत जिंदा थे। उन्होंने खुद हिंदी में अपना नाम भी बताया था।

इस शख्स का दावा है कि सबसे पहले हादसे के बाद दो लोगों को रेस्क्यू किया गया। इनमें से एक सीडीएस जनरल बिपिन रावत थे, जबकि दूसरे शख्स की पहचान उस दौरान नहीं हो पाई थी। रावत ने खुद अपना नाम बताया था, जिसे बचावकर्मी ने सुना।

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हादसे के बाद वहां राहत और बचाव के लिए पहुंची टीम में शामिल एन सी मुरली नाम के बचावकर्मी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने बताया कि हैलिकॉप्टर क्रैश के बाद सीडीएस रावत होश में थे। मुरली के मुताबिक 'हमने 2 लोगों को जिंदा बचाया, जिनमें से एक सीडीएस बिपिन रावत थे।

उन्होंने धीमी आवाज में अपना नाम बताया। उनकी मौत अस्पताल जाते वक्त रास्ते में हुई। हम उस वक्त जिंदा बचाए गए दूसरे शख्स की पहचान नहीं कर सके।

जनरल रावत के साथ जिन अन्य शख्स को निकाला गया था, बाद में उनकी पहचान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के रूप में हुई। ग्रुप कैप्टन हादसे में जिंदा बचे एकमात्र व्यक्ति हैं। उनका अभी इलाज चल रहा है और हालत नाजुक बताई जा रही है।

शरीर का निचला हिस्सा बुरी तरह जल गया था
बचावकर्मी मुरली के मुताबिक हादसे के बाद सीडीएस रावत के शरीर के निचले हिस्से बुरी तरह जल गए थे। इसके बाद उन्हें एक बेडशीट में लपेट कर एंबुलेंस में ले जाया गया था।

बता दें कि मुरली फायर सर्विस टीम में शामिल थे। जो राहत टीम वहां पहुंची थी मुरली उसका हिस्सा थे।
मुरली के मुताबिक जलते विमान के मलबे को बुझाने के लिए फायर सर्विस इंजन को वहां तक ले जाने में भी कड़ी मशक्कत करना पड़ी। क्योंकि वहां तक ले जाने के लिए सड़क नहीं थी।

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ऐसे में वे आसपास के घरों और नदियों से पानी लाकर इस आग को बुझाने की कोशिश कर रहे थे। मुरली ने बताया यह ऑपरेशन काफी मुश्किल था।

घटनास्थल के आस-पास काफी पेड़ होने के कारण बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आ रहीं थीं। इसके चलते रेस्क्यू में देरी भी हुई।

बचावकर्मियों को 12 लोगों के शव मिले थे। जबकि दो लोगों को जिंदा बचाया गया था। हालांकि जिंदा बचे दोनों लोग बुरी तरह झुलसे हुए थे।