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Chandrayaan-3 Mission: लॉन्च व्हीकल से जोड़ा गया चंद्रयान-3 का रॉकेट, जानें कहां तक पहुंची ISRO की तैयारी

Chandrayaan-3 Launching: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) बहुप्रतीक्षित चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' की लॉन्चिंग की तैयारियों में जुटा है। इसे 12 से 19 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा। इस बीच बुधवार को चंद्रयान-3 के रॉकेट को लॉन्च व्हीकल से जोड़ा गया।  

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लॉन्च व्हीकल से जोड़ा गया चंद्रयान-3 का रॉकेट, जानें कहां तक पहुंची ISRO की तैयारी

लॉन्च व्हीकल से जोड़ा गया चंद्रयान-3 का रॉकेट, जानें कहां तक पहुंची ISRO की तैयारी

India Moon Mission 2023: आने वाले कुछ दिनों में भारत अतंरिक्ष में बड़ी उड़ान भरने वाला है। भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) का मून मिशन लगभग पूरा हो चुका है। इसे बहुत जल्द लॉन्च किया जाना है। यदि इसकी लॉन्चिंग सफल रही तो भारत चांद तक पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश हो जाएगा। भारत से पहले अमरीका, रूस और चीन चांद पर अपना स्पेसक्रॉफ्ट उतार चुके हैं। चंद्रयान-3 की तैयारी में जुटे इसरो ने बुधवार को एक वीडियो जारी किया। वीडियो में बताया गया कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में चंद्रयान-3 की इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया। आसान भाषा में कहे तो चंद्रयान-3 के रॉकेट को लॉन्च व्हीकल से जोड़ा गया।


तीन चरण वाला मध्यम लिफ्ट लॉन्च वाहन से जोड़ा गया चंद्रयान-3

इसरो की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार लॉन्च व्हीकल मार्क-III (LVM3) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से ही विकसित किया गया तीन चरण वाला मध्यम-लिफ्ट लॉन्च वाहन है। जिससे चंद्रयान-3 को लॉन्च किए जाने की तैयारी है। इसरो ने ट्वीट कर बताया कि आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 वाली इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया है।


12 से 19 जुलाई के बीच चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग संभव

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 12 से 19 जुलाई के बीच तय की गई है। अगर सबकुछ ठीक रहा और चीजें योजना के मुताबिक हुईं तो 13 जुलाई को इसके लॉन्च होने की उम्मीद जताई गई है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में इसकी जानकारी दी थी। तब उन्होंने यह भी कहा था कि मिशन लॉन्च के लिए जल्द से जल्द संभावित तारीख चुनी जाएगी।

चंद्रयान-3 में रोवर को तैनात करने की क्षमता

इसरो के अनुसार लैंडर में चंद्रमा पर एक निर्दिष्ट जगह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता है जो अपनी गतिविधि के दौरान चंद्र सतह का अपने स्थान पर रासायनिक विश्लेषण करेगा। चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए लैंडर और रोवर के पास साइंटिफिक पेलोड होंगे। चंद्रयान-2 चंद्रमा की पड़ने वाली रोशनी और रेडिशन का स्टडी करेगा।

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