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जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए गम्भीर चुनौतीः बिरला

- शिलोंग में सीपीए उत्तर-पूर्व क्षेत्र का सम्मेलन शुरू

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जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए गम्भीर चुनौतीः बिरला

जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए गम्भीर चुनौतीः बिरला

शिलोंग। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरलाी ने जलवायु परिवर्तन को दुनिया के लिए गम्भीर चुनौती बताते हुए कहा कि प्रकृति के नजदीक रहना भारतीयों के मूल स्वभाव में रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे प्राकृतिक असंतुलन का समाधान भी इसी मूल स्वभाव से निकालने पर ध्यान देना होगा।

बिरला ने शनिवार शाम यहां मेघालय विधानसभा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत के रीजन-तीन के सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर मेघालय जैसे उस प्रदेश में भी दिख रहा है, जो पूरे देश में सर्वाधिक बारिश के कारण प्रसिद्ध है। यहां आज भी गर्मी है। ऐसे में उत्तर पूर्व में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की सम्मेलन की थीम प्रासंगिक और सामयिक है।

प्राकृतिक आपदाओं के खतरों के बारे में जागरूकता पर जोर देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर-पूर्व को जैव विविधता है। यहां होने वाले किसी भी पारिस्थितिक असंतुलन का पूरे देश की पर्यावरणीय स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव हो सकता हैं। ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की बेहतर तैयारी की आवश्यकता है। आपदा प्रबंधन नीति निर्माण में प्रधानमंत्री के 10-सूत्रीय एजेंडा पर ध्यान देने पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि विकास की प्रक्रिया में हम मानवीय मूल्यों और नैतिकता के मार्ग से न भटकें।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम करने के लिए सतत विकास और योजना तैयार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों के लिए जलवायु परिवर्तन तत्काल चिंता का विषय है। ऐसे में आपदा प्रबंधन की एक अलग नीति की बजाय प्रत्येक राज्य में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए व्यापक योजना होनी चाहिए। हरिवंश ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु कार्य योजनाओं के वित्तपोषण की योजना बनाना भी आवश्यक है।

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने कहा कि भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, चक्रवात, सूखा जैसी आपदाएँ विकास की गति में बाधा डालती हैं। गारो हिल्स में हाल में आई बाढ़ के दौरान सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और स्वयंसेवकों के साझा प्रयासों से बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव को काफी हद तक नियंत्रित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उपलब्ध संसाधनों को बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाने का एक सुव्यवस्थित तंत्र तैयार हुआ। हर समुदाय में यह प्रतिबद्धता होनी चाहिए ताकि वे किसी भी आपदा में लोगों को बचाने के लिए कार्य कर सकें।

अरुणाचल प्रदेश के स्पीकर व सीपीए क्षेत्र-3 के चेयरमैन पसांग डी. सोना ने विधायकों और नीति निर्माताओं को विभिन्न मुद्दों व नीतियों पर मिलजुलकर चर्चा करने का मंच प्रदान करने के लिए सीपीए की सराहना की। मेघालय विधानसभाध्यक्ष थॉमस ए. संगमा ने स्वागत किया। सम्मेलन का समापन रविवार को मेघालय के माननीय राज्यपाल फागू चौहान के मुख्य आतिथ्य में होगा।