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हिमालय रेंज के राज्यों में बादलों का कहर, बढ़ रही तबाही की घटनाएं

देश में अगस्त माह में जम्मू कश्मीर में बादल फटने की यह चौथी और हिमालय रेंज में बादल फटने की छठी बड़ी तबाही है। पिछले सालों में भी हिमालय रेंज के जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय राज्य तक तबाही की घटनाएं होती रही है।

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जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से फिर तबाही, 11 की मौत

उत्तर-भारत में मानसून की आक्रामकता के चलते जम्मू-कश्मीर में शनिवार तड़के बादल फटने की दो घटनाओं में 11 लोगों की मौत हो गई। रियासी व रामबन में बादल फटने के साथ अचानक आए पानी के भारी सैलाब से हाहाकार मच गया। दोनों जगहों पर कई लोग लापता है।

दर्जनों घर मलबे में तब्दील हो चुके हैं। बादल फटने के दौरान भूस्खलन से मकान ढहने से रियासी के माहौर डब्बर गांव में एक ही परिवार के पांच बच्चों समेत सात लोगों की मौत हो गई। वहीं रामबन के राजगढ़ गांव में बादल फटने से आए तेज बहाव में चार लोगों की मौत हो गई। कई मकान बह गए। आस-पास के अन्य गांव भी तबाही की चपेट में आ गए। सूचना मिलने पर सेना व आपदा-बचाव दल मौके पर पहुंचे और पीडि़तों के राहत देने का कार्य शुरू किया। देश में अगस्त माह में जम्मू कश्मीर में बादल फटने की यह चौथी और हिमालय रेंज में बादल फटने की छठी बड़ी तबाही है। पिछले सालों में भी हिमालय रेंज के जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय राज्य तक तबाही की घटनाएं होती रही है।

बादल फटने के प्रमुख कारण-

जलवायु परिवर्तन : वैश्विक तापमान बढऩे के कारण वायुमंडल में नमी की मात्रा बढऩे का असर पर्वतीय रेंज पर पड़ रहा है।भौगोलिक परिस्थितियां : पहाड़ी व नदी-घाटी वाले क्षेत्रों में बारिश नमी और हवाओं में उलझकर ज्यादा केन्द्रित हो जाती है।

हवाओं का असर : पश्चिमी विक्षोभ व मानसून की हवाओं व हिमालय की ठण्डी हवाओं में टकराव से बारिश की तीव्रता बढ़ जाती है।

मानवीय गतिविधियां : हिमालय रेंज में मानवीय गतिविधियां व दखल बहुत अधिक बढ़ा है। इससे वातावरण प्रभावित हो रहा है।

बादल फटने से यह आता है खतरा-

-लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र में एक घंटे में 100 एमएम से अधिक बारिश हो जाती है।

-कम समय से अधिक पानी का सैलाब आने से बाढ़ आ जाती है। पहाड़ों से भूस्खलन हो जाता है।

-तेज बहाव के साथ मलबा भी तेजी से बहकर आता है। इससे जनहानि के साथ घरों, सड़कों आदि को भारी नुकसान।