Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव में लगातारी तीसरी पराजय के बाद 2025 को संगठन सृजन वर्ष के तौर पर मना रही कांग्रेस ने छह महीने में उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश और राजस्थान में संगठन मजबूत करने के मामले में दो कदम आगे बढ़ाए हैं, लेकिन अब भी हरियाणा, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश समेत उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में संगठन नाम की चीज नहीं है। चुनाव-दर-चुनाव हारने के पीछे कमजोर संगठन प्रमुख कारण होने की बात स्वीकार कर ही पार्टी नेतृत्व इस साल संगठन सृजन वर्ष मना रही है।
उत्तर प्रदेश से इसकी शुरुआत कर कांग्रेस ने 'जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' के नारे को अमल में लाते हुए जातीय समीकरणाें के आधार पर 131 जिलाध्यक्षों को नियुक्त किया। करीब 30 साल से सत्ता से बाहर गुजरात में कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों के नियुक्ति के लिए बड़ी संख्या में वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा। लंबी प्रक्रिया के बाद अब गुजरात में जिलाध्यक्षों के नामों के चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
गत विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सबसे बुरी हार से उबरकर अगले चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस में प्रदेश, जिला, ब्लॉक, मंडल से बूथ स्तर तक संगठन मजबूत करने की कवायद चल रही है। पहली कड़ी में जिलाध्यक्षों के चयन का काम शुरू कर दिया है। वरिष्ठ नेता राहुल गांधी पर्यवेक्षकों की बैठक ले चुके हैं।
यहां कांग्रेस संगठन प्रदेश, जिला, ब्लॉक, मंडल और बूथ स्तर तक संगठन बना हुआ है, लेकिन गुटबाजी अधिक है।प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारियों की संख्या खासी ज्यादा है। ऐसे में सक्रिय रहने वाले कई पदाधिकारी नाराजगी जताते रहे हैं कि नाम के लिए पद भी बांटे गए हैं। कुछ निष्क्रिय पदाधिकारियों की छुट्टी भी की गई है।
यहां दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष बने लंबा समय बीत चुका है। इसके बावजूद उनको अपनी टीम नहीं मिली है। वहीं कुछ जिलाध्यक्षों को बदला गया है, लेकिन मंडल स्तर पर संगठन खड़ा नहीं हो सका है।
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बावजूद यहां संगठन में बिखराव और गुटबाजी साफ दिखाई दे रही है। चुनाव नतीजों के करीब एक साल बाद भी नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना जा सका है। वहीं ब्लॉक, मंडल और बूथ तक संगठन तो बहुत दूर की बात है, यहां प्रदेश और जिला कार्यकारिणी सालों से नहीं बनी है।
Updated on:
17 Jun 2025 09:03 am
Published on:
17 Jun 2025 06:44 am