
UGC Draft: कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपालों को पहले से अधिक अधिकार देने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदे पर घमासान मच गया है। एक ओर विपक्ष शासित राज्य इसे संघीय ढांचे पर हमला बताते हुए विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर एनडीए के कुछ सहयोगी दल भी प्रस्तावों से सहमत नहीं हैं। एनडीए के प्रमुख घटक दल जद-यू और टीडीपी के नेताओं ने प्रस्तावों पर विरोध जताया है। विधानसभा में यूजीसी के ड्राफ्ट के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला केरल पहला राज्य बन गया है।
केरल की पिनाराई विजयन सरकार ने पारित प्रस्ताव में कहा कि यूजीसी का मसौदा संघीय सिद्धांतों और लोकतांत्रिक प्रणाली के खिलाफ है। यह मसौदा कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकारों की राय को पूरी तरह नजरअंदाज करता है। प्रस्ताव में यूजीसी से मसौदा नियमों को वापस लेने की अपील की गई। गैर-बीजेपी शासित कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में भी यूजीसी के नए मसौदे के खिलाफ विरोध के स्वर उठे हैं। एनडीए के प्रमुख सहयोगी जद-यू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति में निर्वाचित सरकारों की भूमिका सीमित करने से शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार के प्रयास काफी हद तक हतोत्साहित होंगे। इसमें कुछ संशोधन की जरूरत हो सकती है। ऐसी ही राय एनडीए सहयोगी टीडीपी के प्रवक्ता दीपक रेड्डी ने जताई है। इससे माना जा रहा है कि एनडीए के सहयोगी दलों को भी यूजीसी का मसौदा रास नहीं आया है।
यूजीसी के नए ड्राफ्ट में राज्यपालों को कुलपतियों की नियुक्ति में पहले से ज्यादा अधिकार प्रस्तावित हैं। उद्योग विशेषज्ञों और सार्वजनिक क्षेत्र के व्यक्तियों की कुलपति के पद पर सीधी नियुक्ति के भी प्रावधान करने की तैयारी है, जबकि अमूमन शिक्षाविदों और प्रोफेसरों की कुलपति पद पर नियुक्ति होती रही है।
Published on:
22 Jan 2025 09:26 pm
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