
Karnataka High Court on ED
धनशोधन कानून (PML) के मामलों की जांच करने वाली एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) के छापेमारी, गिरफ्तारी और अन्य प्रक्रियागत कामकाज को लेकर अदालतें हैरान हैं और लगातार उसके खिलाफ टिप्पणियां कर रही हैं। ताजा मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि ED कानून में निहित प्रक्रियात्मक निष्पक्षता के तत्वों की अनदेखी नहीं कर सकता। जस्टिस हेमंत चंदनगौदार ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की पूर्व आयुक्त डॉ. नतेशा डीबी की याचिका स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की।
MUDA की पूर्व आयुक्त डॉ. नतेशा डीबी के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को कथित तौर पर अवैध रूप से भूमि आवंटित की गई थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के आवास पर ED की ओर से की गई तलाशी और जब्ती तथा उसके बाद PMLA की धारा 17(1)(f) के तहत दर्ज बयान विश्वास करने के कारण के अभाव के आधार पर गलत है। कोर्ट ने इसे अमान्य और अवैध घोषित करते हुए उनके खिलाफ जारी समन को भी रद्द कर दिया। यही नहीं, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ED के संबंधित अधिकारी के खिलाफ धारा 62 PMLA के तहत कार्रवाई शुरू करने की स्वतंत्रता दी।
कोर्ट ने कहा कि ED से निष्पक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अपेक्षा की जाती है। प्रथम दृष्ट्या सबूत के बिना जांच की आड़ में याचिकाकर्ता के परिसर में की गई तलाशी, कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। तलाशी और जब्ती के लिए एजेंसी के अधिकारी के पास मौजूद सामग्री के आधार पर 'विश्वास करने का कारण' होना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल है। कार्यवाही शुरू करने से पहले यह कारण लिखित रूप में दर्ज किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तियों की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार पर कोई अतिक्रमण नहीं किया जा सकता।
- ED के मामले में मिलने लगी जमानत।
- गिरफ्तारी से पहले लिखित में कारण बताने के निर्देश दिए।
- बिना मुकदमा आरोपी को लंबे समय तक जेल में नहीं रख सकते।
- ED आरोपियों को पिक एंड चूज नहीं कर सकती।
Published on:
30 Jan 2025 09:00 pm
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