
दिल्ली में प्रदूषण से मचा हाहाकार। (फोटो- ANI)
दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुंचे प्रदूषण ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। राजधानी के अधिकांश इलाके गुरुवार को भी जहरीले स्मॉग की घनी चादर से ढके हुए नजर आए। जिससे सड़कों की विजिबिलिटी काफी कम हो गई है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 414 तक पहुंच गया है। हवा की लगातार बिगड़ती हालत को देखते हुए चीन ने कुछ अहम सुझाव दिए हैं। साथ ही यह भी बताया है कि इन्हीं प्रक्रिया का पालन करके को उन्होंने बीजिंग में प्रदूषण की समस्या से मुक्ति पाई थी।
दिल्ली में प्रदूषण को खत्म करने के लिए भारत में स्थित चीनी दूतावास ने स्टेप बाई स्टेप प्रक्रिया समझाई है। सुझाव को चीनी दूतावास ने अपने एक्स पर भी शेयर किया है।
चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने अपने एक्स पोस्ट में कहा- चीन और भारत दोनों जानते हैं कि तेजी से शहरीकरण के बीच वायु प्रदूषण से निपटना कितना मुश्किल है। ऐसे में हवा रातों रात साफ नहीं होती है।
गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कंट्रोल करने के बीजिंग के तरीके के बारे में बताते हुए जिंग ने कहा कि चीन ने पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को धीरे-धीरे हटाते हुए यूरो 6 नॉर्म्स जैसे बहुत सख्त एमिशन स्टैंडर्ड अपनाए हैं।
चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए शहर में मेट्रो और बस नेटवर्क पर ज्यादा फोकस करने की सलाह दी है। इसके साथ-साथ उन्होंने लाइसेंस-प्लेट लॉटरी, ऑड-ईवन और हफ्ते के दिनों में ड्राइविंग पर पाबंदी जैसे उपायों का भी सुझाव दिया है।
इसके अलावा यू जिंग ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को तेजी से अपनाने की भी सलाह दी है। चीनी दूतावास ने यह भी बताया कि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए इंडस्ट्रियल रीस्ट्रक्चरिंग पर भी फोकस करना जरुरी है।
दूतावास ने बताया कि बीजिंग में 3,000 से ज्यादा भारी इंडस्ट्रीज को बंद कर दिया गया या दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा- चीन की सबसे बड़ी स्टील बनाने वाली कंपनियों में से एक शौगांग को ही दूसरी जगह शिफ्ट करने से हवा में सांस लेने लायक कणों में 20 प्रतिशत की कमी आई।
दूतावास ने सुझाव दिया कि खाली पड़ी फैक्ट्रियों को पार्क, कमर्शियल जॉन, कल्चरल और टेक हब में बदला जाए। प्रवक्ता ने कहा- हमने पूर्व शौगांग इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स को 2022 के विंटर ओलंपिक्स के लिए एक बड़े वेन्यू में बदल दिया।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि बीजिंग पर दबाव कम करने के लिए राजधानी से थोक बाजार, लॉजिस्टिक्स हब और कुछ एजुकेशनल व मेडिकल संस्थानों को पास के शहरों में शिफ्ट कर दिया गया।
दूतावास ने बताया कि जनरल मैन्युफैक्चरिंग को हेबेई प्रांत में शिफ्ट कर दिया गया। बीजिंग ने केवल हाई-वैल्यू रिसर्च, डेवलपमेंट और सर्विस सेक्टर को अपने पास रखा।
बता दें कि चीन को बीजिंग में प्रदूषण से निपटने के लिए कई साल लगे थे। उन्होंने राजधानी में कोयले से चलने वाले बॉयलर को पूरी तरह से बंद कर दिए, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दिया। ग्रीन एनर्जी की ओर बदलाव को तेज किया।
अब इस मामले में एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन के सुझाव सही है, लेकिन इनमें से कई उपाय दिल्ली में अपनाए जा चुके हैं। जिसका कोई खास असर नहीं दिख पाया है।
दिल्ली ने ऑड-ईवन पॉलिसी का प्रयोग किया, जिसमें ऑड नंबर वाली प्लेट वाली कारों को ऑड तारीखों पर चलाने का निर्णय लिया गया, लेकिन इससे प्रदूषण का स्तर ज्यादा कम नहीं हुआ।
दिल्ली में बार-बार होने वाले प्रदूषण के पीछे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों की बड़ी भूमिका है। वह पराली जलाते हैं, जिससे प्रदूषण तेजी से राजधानी की ओर बढ़ता है।
Published on:
18 Dec 2025 08:47 am
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