
दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के बजाय बैलट पेपर से चुनाव कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे पर विचार कर चुका है और बैलट पेपर पर वापसी की मांग को खारिज कर चुका है। खंडपीठ ने उपेंद्र नाथ दलाई की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने EVM के उपयोग को चुनौती देने वाली याचिका को पहले ही खारिज कर दिया है। इसके मद्देनजर, हम इस याचिका को खारिज करते हैं।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता दलाई पहले भी बेबुनियाद और लापरवाह आरोप लगाने के लिए अदालतों से फटकार सुन चुके हैं। उन्होंने कहा, कोई भी इस तरह से कोर्ट की प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं कर सकता। यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही निपटाया जा चुका है।
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए EVM की कथित छेड़छाड़ की आशंका के आधार पर बैलट सिस्टम पर वापसी की मांग को ठुकराया था। कोर्ट ने टिप्पणी की थी, जब आप हारते हैं, तो EVM में छेड़छाड़ का आरोप लगता है; जब जीतते हैं, तो EVM ठीक हैं। इसके बाद, अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ सभी वोटों की अनिवार्य क्रॉस-वेरिफिकेशन की मांग वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि बिना सबूत के EVM पर बार-बार संदेह उठाना मतदाताओं में अविश्वास पैदा कर सकता है, जिससे चुनावों में नागरिकों की भागीदारी और विश्वास कम हो सकता है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने अपने फैसले में कहा था कि बैलट पेपर पर वापसी की मांग करने वाली याचिका (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर) का असल उद्देश्य EVM सिस्टम को बदनाम करना और चल रही चुनावी प्रक्रिया को बाधित करना है। उन्होंने कहा, “याचिकाकर्ता की नीयत पर गंभीर संदेह है। भले ही इस संगठन ने अतीत में चुनाव सुधारों में योगदान दिया हो, लेकिन बैलट पेपर की मांग समझ से परे है।
EVM को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं, खासकर विपक्षी दलों द्वारा। हालांकि, चुनाव आयोग ने हमेशा EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर जोर दिया है। VVPAT की शुरूआत के बाद मतदाताओं को अपने वोट की पुष्टि का विकल्प मिला है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले EVM की विश्वसनीयता को मजबूत करते हैं और बिना सबूत के छेड़छाड़ के दावों को खारिज करते हैं।
Published on:
24 Sept 2025 09:09 pm
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