
दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण (Photo-IANS)
दिल्ली में खतरनाक लेवल पर पहुंचे प्रदूषण के स्तर को लेकर हाई लेवल बैठक हुई। जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने की। इस दौरान, पता चला कि दिल्ली-NCR में अभी भी 37 प्रतिशत गाड़ियां पुराने BS I से BS III एमिशन नॉर्म्स के हिसाब से हैं।
पुरानी गाड़ियों का ब्यौरा सामने आने के बाद प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के लिए नया ऑर्डर जारी किया। उन्होंने इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ तेजी से बढ़ने, चार्जिंग नेटवर्क बढ़ाने और नियमों को लागू करने में तेजी लाने का निर्देश दिया।
बता दें कि ठंड शुरू होते ही दिल्ली में प्रदूषण का लेवल अपने चरम पर पहुंच गया है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 350 के आंकड़ें को पार कर चुकी है। हवा की क्वालिटी इतनी खराब हो गई है कि मजबूरन दिल्ली सरकार को ग्रैप के स्टेज 2 को लागू करना पड़ा है।
प्रदूषण को लेकर सोमवार को हाई-लेवल टास्क फोर्स ने आठ डिपार्टमेंट्स के सेक्रेटरी और पांच राज्यों- दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी के साथ मीटिंग की।
द इंडियन एक्सप्रेस ने वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया कि खासकर ट्रांसपोर्टेशन पर जोर इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि दिल्ली में गाड़ियों का लोड बहुत ज्यादा है। एनसीआर के 2।97 करोड़ रजिस्टर्ड गाड़ियों में से करीब 1।57 करोड़ दिल्ली में हैं।
प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन नाम की एक संस्था बनाई है। इस कमीशन ने भी ट्रांसपोर्टेशन और गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को मुख्य चिंता बताया है।
अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिल्ली से सटे चारों राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब से एयर क्वालिटी में साफ सुधार के लिए प्रैक्टिकल और नतीजे देने वाले उपाय अपनाने के लिए तुरंत कदम उठाने को कहा है।
बताया जा रहा है कि पिछले दो हफ्तों में पराली जलाने और गाड़ियों से होने वाले धुएं की वजह से, 11-13 नवंबर तक दिल्ली का AQI खतरनाक स्तर पर चला गया है।
यह भी जानकारी मिली है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से गाड़ियों में ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन), RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) और ITMS (इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट) सिस्टम लगाने को कहा गया।
डेटा से पता चलता है कि अक्टूबर में दिल्ली में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर में से सिर्फ 4,419 रजिस्टर हुए। जिससे इस साल इनकी संख्या 31,447 हो गई है। वहीं, अकेले अक्टूबर में पेट्रोल से चलने वाले टू-व्हीलर (78,114) इस संख्या से दोगुने से ज्यादा रजिस्टर हुए।
बैठक में यह भी बताया गया कि फोर-व्हीलर यूजर्स के बीच भी बैटरी वाली गाड़ी अपनाने की रफ्तार कम है। अक्टूबर में 2,331 EV और EV-हाइब्रिड प्राइवेट फोर-व्हीलर रजिस्टर हुए। इस साल जनवरी से अक्टूबर तक, कुल 17,942 ऐसी गाड़ियां रजिस्टर हुईं।
Published on:
25 Nov 2025 08:56 am
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