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ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट देने से रोकने पर हाईकोर्ट पहुंचा दिव्यांग बोला- अधिकारी नहीं कर रहे काम

Kerala Highcourt: 40 प्रतिशत दिव्यांगता से जूझ रहे दिव्यांग को परिवहन विभाग ने ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट देने से रोक दिया।

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ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट न लेने और उसकी अर्जी पर सनवाई न होने की वजह से एक दिव्यांग व्यक्ति ने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उसका कहना है कि मेडिकल क्लीयरेंस होने के बावजूद उसे ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने से वंचित कर दिया गया।

40 प्रतिशत दिव्यांगता से जूझ रहा है दिव्यांग

याचिकाकर्ता का कहना है कि वह 40 प्रतिशत दिव्यांगता से जूझ रहा है। उसने 18 साल पूरे करने के बाद ड्राइविंग स्कूल के अनुरोध पर परिवहन अधिकारियों से अनुमति के लिए आवेदन किया। उसके आवेदन के साथ एक मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र भी दिया गया था। इसमें कहा गया था कि यदि उनके वाहन में उचित संशोधन किए गए हों तो वह पात्र है। लेकिन परिवहन अधिकारियों ने इसे अस्वीकार कर दिया।

सीनियर अफसर ने भी रिजेक्ट कर दी अर्जी

इसके बाद उसने और वरिष्ठ परिवहन अथॉरिटी के पास आवेदन दिया, लेकिन वह भी अस्वीकार कर दिया गया। व्यक्ति ने उप परिवहन आयुक्त के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया है। उसने तर्क दिया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने आगे बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों को मनमाने ढंग से लागू किया गया ताकि उसे ड्राइविंग टेस्ट देने का अवसर न दिया जा सके। इसलिए वह चाहता है कि अदालत उसकी मदद करे।

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