5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Budget 2022: अब तक का सबसे छोटा बजट भाषण जिसमें बोले गए मात्र 800 शब्द, जानें किस वित्त मंत्री ने कौनसे साल में किया था इसे पेश

Budget 2022: कल 1 फरवरी को देश की संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट पेश करेंगी। पूरे देश की निगाहें इस बजट पर टिकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब तक का सबसे छोटा बजट भाषण किसने और कब दिया है। आइए आपको बताते हैं वो दिलचस्प किस्सा जब संसद में पेश किया गया था केवल 800 शब्दों का बजट भाषण।

2 min read
Google source verification
Do you Know the Shortest Budget Speech was only 800 words

Budget 2022: (Parliament)

Budget 2022: कल 1 फरवरी को देश की संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट पेश करेंगी। पूरे देश की निगाहें इस बजट पर टिकी हैं। 1 फरवरी को वित्त मंत्री जब अपना बही खाता खोलेंगी, तो उसमें से किसके लिए क्या खास निकलेगा। इसका सभी को इंतजार है। ये चौथी बार होगा जब वित्त मंत्री संसद में यूनियन बजट पेश करेंगी। क्या आप जानते हैं कि अब तक का सबसे छोटा बजट भाषण किसने और कब दिया है। आइए आपको बताते हैं वो दिलचस्प किस्सा जब संसद में पेश किया गया था केवल 800 शब्दों का बजट भाषण।


साल 1977, इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो चुका था। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में देश में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी। मोरारजी प्रधानमंत्री बने थे और वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी हीरूभाई एम पटेल को सौंपी गई थी। मार्च 1977 में हीरूभाई ने अंतरिम बजट संसद में पेश किया था।हीरूभाई का बजट भाषण महज 800 शब्दों का था, जो कुछ ही मिनटों में समाप्त हो गया था।

इसी को अबतक का सबसे छोटा बजट भाषण माना जाता है। हालांकि, इसके बाद हीरूभाई पटेल ने वर्ष 1978-79 वार्षिक बजट भी पेश किया। बजट भाषणों का आकार शब्दों के अनुसार देखें तो वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 1991 में दिया गया भाषण सबसे लंबा था। उनका बजट भाषण करीब 18,700 शब्दों का था। इसके बाद 2017 में अरुण जेटली ने 18,604 शब्दों का बजट भाषण पढ़ा था।


यह भी पढ़ें-Budget 2022-23 preview: महामारी से आगे बढ़ने की चुनौती के बीच संरक्षण और विकास के बीच संतुलन की संभावना


हीरूभाई मुलजीभाई पटेल, मोरारजी देसाई सरकार में 26 मार्च 1977 में वित्त मंत्री बने थे। वह देश के 11वें वित्त मंत्री थे। वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने 24 जनवरी 1979 तक अपनी सेवा दी। इसके बाद 1979 में वह देश के गृह मंत्री बने।


हीरूभाई पटेल ने साल 1967 में स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वो हार गए थे। साल 1977 में इमरजेंसी के बाद चुनाव हुए तो हीरूभाई गुजरात के साबरकाठा लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे। मोरारजी की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो मिला।

अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई समाजवादी आर्थिक नीतियों को बदला, विदेशी निवेश की बाधाओं को समाप्त किया और घरेलू उद्योगों की रक्षा करते हुए टैरिफ को कम किया। सभी विदेशी कंपनियों को अपनी भारतीय सहयोगी कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी रखने के लिए कॉरपोरेशन बनाने होंगे। ये नीति उन्होंने ही लाई थी। जिसके चलते कोका-कोला कंपनी को भारत से अपना कारोबार समेट कर जाना पड़ गया था।