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Health Facilities in India: देश में सिर्फ डॉक्टरों की ही नहीं बिस्तरों की भी भारी किल्लत, 63% स्वास्थ्य सेवा की जिम्मेदारी निजी हाथों में

Bed in hospital is very less in India: भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जबकि सरकारी सेवा का विस्तार बहुत धीमी गति से हो रहा है।

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Scarcity of doctors in India: देश के अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ अस्पतालों में बिस्तरों (बेड) की भी भारी किल्लत है। दुनियाभर में जहां प्रति 1,000 व्यक्ति पर औसतन तीन बेड हैं, वहीं भारतीय अस्पतालों में सिर्फ 1.3 बेड उपलब्ध हैं। यानी हर एक हजार व्यक्ति पर 1.7 बेड कम हैं। वैश्विक औसत की बराबरी करने के लिए भारतीय अस्पतालों में 24 लाख और बेड की जरूरत है। रियल एस्टेट कंसलटेंट फर्म नाइटफ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक देश में अस्पताल और हेल्थकेयर सेंटर विकसित करने के लिए 200 करोड़ वर्ग फुट जमीन की जरूरत है तभी देश के 142 करोड़ लोगों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। देश में करीब 70,000 अस्पताल हैं। इनमें 63 फीसदी प्राइवेट और 37 फीसदी सरकारी हैं।

देश में प्रति हजार व्यक्ति 1 डॉक्टर भी नहीं

देश में प्रति 1000 मरीज पर एक से भी कम 0.9 डॉक्टर हैं। चीन में यह संख्या दो और ब्रिटेन में छह है। अमरीकी नागरिकों को अपनी जेब से इलाज के कुल खर्च का सिर्फ 11.3 फीसदी खर्च करना होता है, जबकि पर्याप्त सरकारी अस्पतालों के अभाव में औसत भारतीयों को अपनी जेब से करीब 55 फीसदी खर्च करना होता है। पिछले 10 साल में देश का हेल्थ केयर बाजार सालाना 18 फीसदी की दर से बढ़ा है। मेडिकल टूरिज्म भी सालाना 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, क्योंकि विकसित और अन्य देशों के मुकाबले भारत में गुणवत्तापूर्ण इलाज बेहद सस्ता है। रिपोर्ट के मुताबिक देश के हेल्थकेयर सेक्टर और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में निवेश की व्यापक संभावनाएं हैं।

-03 हॉस्पिटल बेड प्रति 1,000 लोगों पर ग्लोबल औसत, भारत में 1.3 बेड और सिर्फ 0.9 डॉक्टर।

-70,000 अस्पताल देश में। इनमें 63 फीसदी प्राइवेट और 37 फीसदी सरकारी।

-2.1 फीसदी जीडीपी का हेल्थ केयर पर खर्च किया केंद्र सरकार ने 2022-23 में? यह 2013-14 में 1.2 फीसदी था।

-38 अरब डॉलर का वैश्विक निवेश आया हेल्थकेयर से जुड़े रियल एस्टेट में।

प्रति 1,000 व्यक्ति पर बेड-डॉक्टरों की संख्या

देश बेड डॉक्टर
जापान 13 2.5
चीन 4.3 2.0
अमरीका 2.9 2.6
ब्रिटेन 2.5 5.8
भारत 1.3 0.9

इलाज में अपनी जेब से खर्च

देश खर्च
अमरीका 11.3 फीसदी
ब्रिटेन 17.1 फीसदी
चीन 35.2 फीसदी
जापान 12.9 फीसदी
भारत 54.8 फीसदी

भारत में सस्ता इलाज इसलिए बढ़ा मेडिकल टूरिज्म
इलाज भारत मलेशिया सिंगापुर द. कोरिया
कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी 7,900 12,100 17,200 26,000
हर्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट 9,500 13,500 16,900 39,990
जॉइंट रिप्लेसमेंट (घुटना-कूल्हा) 7,200 8,000 13,900 21,000
कोरोनरी एंजियोप्लास्टी 5,700 8,000 13,400 17,700
(सर्जरी का खर्च अमरीकी डॉलर में)

ऐसे बढ़ा भारतीय हेल्थ केयर बाजार
वर्षबाजार
2012 73 अरब डॉलर
2018 205 अरब डॉलर
2022 372 अरब डॉलर
ग्रोथ रेट : 18 फीसदी सालाना
(स्रोत : नाइटफ्रैंक)

क्या हैं चुनौतियां
-लगातार बढ़ती जनसंख्या के मुकाबले कम नए डॉक्टर।
-अच्छे कॉलेज से पासआउट मेडिकल विद्यार्थियों का बेहतर कैरियर के लिए विदेश जाना।
-हेल्थ केयर पर अब भी देश की जीडीपी का सिर्फ 2.1 फीसदी खर्च। विकसित देशों में यह 5 से 6 फीसदी तक।

ज्यादा अस्पतालों की जरूरत इसलिए...
- देश में 65 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या अगले 10 से 20 साल में तेजी से बढ़ेगी। अस्पतालों पर दबाव बढ़ेगा।
-भारत में हृदय संबंधी और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। विशेष स्वास्थ्य देखभाल की मांग बढ़ेगी।
- प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि। बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता और स्वास्थ्य बीमा की पहुंच भारत में स्वास्थ्य सेवा उद्योग की मांग बढ़ाएगी।