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Dussehra 2025: दशहरे पर सिर्फ रावण ही नहीं जले…मचा है खूब बवाल, जानें 5 सबसे बड़ी कंट्रोवर्सी

Dussehra 2025: कर्नाटक के मैसूर से लेकर छत्तीसगढ़ के बस्तर, हिमाचल के कुल्लू, दिल्ली तक-परंपराओं, पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर दशहरा को लेकर 5 बड़े विवाद सामने आए हैं।

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Dushhera 2025

दशहरा 2025 (Photo Patrika)

Dussehra 2025: विजयादशमी का त्योहार आते ही देशभर में उत्साह की लहर दौड़ जाती है, लेकिन इस बार दशहरा विवादों के घेरे में है। कर्नाटक के मैसूर से लेकर छत्तीसगढ़ के बस्तर, हिमाचल के कुल्लू, दिल्ली तक- परंपराओं, पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर पांच बड़े विवाद सामने आए हैं। ये विवाद न केवल स्थानीय स्तर पर बहस छेड़ रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन चुके हैं। आइए जानते हैं इनकी बारीकियां।

1 मैसूर दशहरा उद्घाटन विवाद: लेखिका बनाम धार्मिक संवेदनाएं

कर्नाटक के मैसूर दशहरा, जिसे 'नाडा हब्बा' कहा जाता है, का उद्घाटन इस बार अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज विजेता लेखिका बनू मुश्ताक को करने का फैसला विवादों में घिर गया। पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा ने इसे 'एंटी-हिंदू' और 'एंटी-कन्नड़' बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका तर्क था कि 2023 के एक साहित्यिक आयोजन में मुश्ताक की टिप्पणियां हिंदू देवताओं का अपमान करती हैं। इसके अलावा, मैसूर राज परिवार को बिना सलाह के न्योता दिए जाने पर भी सवाल उठे।
राज्य सरकार ने इसे सांस्कृतिक उत्सव बताते हुए बचाव किया, लेकिन पूर्व रानी प्रमोदा देवी वाडियार ने चामुंडेश्वरी मंदिर में राजनीति घुसने का आरोप लगाया। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 सितंबर को याचिकाएं खारिज कर दीं, कहते हुए कि किसी धर्म के व्यक्ति का दूसरे के त्योहार में भाग लेना धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं। फिर भी, बीजेपी ने इसे 'धर्मनिरपेक्षता का ढोंग' करार दिया। 22 सितंबर से शुरू हो रहे दशहरे में मुश्ताक का उद्घाटन अब भी तनाव का विषय है।

2 बस्तर दशहरा रथ निर्माण विवाद: पर्यावरण बनाम परंपरा

छत्तीसगढ़ के बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले ऐतिहासिक दशहरा का रथ निर्माण इस बार दोहरी मुसीबत में फंसा। एक ओर, काकलगुर गांव के ग्रामीणों ने जंगल संरक्षण के नाम पर रथ के लिए लकड़ी काटने से इनकार कर दिया। परंपरा के मुताबिक, इसी गांव से साल का पेड़ काटा जाता है, लेकिन घटते वन क्षेत्र को देखते हुए ग्रामीणों ने फैसला लिया। दूसरी घटना 23 सितंबर को हुई, जब रथ निर्माण स्थल पर एक शराबी युवक बिरयानी खाने घुस आया। कारीगरों ने उसे पकड़कर पीटा और पुलिस को सौंप दिया।
ये घटनाएं बस्तर दशहरा की पवित्रता पर सवाल खड़े कर रही हैं। स्थानीय आदिवासी समुदाय का कहना है कि पर्यावरण बचाना जरूरी है, लेकिन रथ यात्रा के बिना त्योहार अधूरा। प्रशासन वैकल्पिक लकड़ी की तलाश में जुटा है, पर विवाद ने पर्यटन प्रभावित किया।

3 कुल्लू दशहरा में देवताओं के बीच धुर विवाद: देवी-देवता की रस्साकशी

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू दशहरा, जो 'देवताओं की घाटी' के नाम से जाना जाता है, इस बार स्थानीय देवताओं के बीच 'धुर' (प्रमुख स्थान) को लेकर 11 साल पुराना विवाद फिर भड़क गया। श्रृंगा ऋषि (बंजार घाटी के देवता) और बालू नाग (लक्ष्मण के अवतार माने जाने वाले) के बीच धुर पद की लड़ाई अदालत पहुंची। परंपरा के अनुसार, श्रृंगा ऋषि का अधिकार है, लेकिन बालू नाग समर्थक इसे चुनौती दे रहे हैं। 2 अक्टूबर से शुरू हो रहे सात दिवसीय उत्सव में 100 से अधिक देवता शामिल होंगे, लेकिन यह विवाद रघुनाथ जी की मूर्ति यात्रा को प्रभावित कर सकता है। हाईकोर्ट ने पहले ही पशु बलि पर रोक लगाई है, जो विवाद को और गहरा रहा। स्थानीय कहते हैं, 'देवताओं का झगड़ा कुल्लू की एकता को तोड़ रहा।'

4 रावण दहन अवशेष विवाद: प्रदूषण का भूत फिर सिर चढ़ा

दिल्ली में रावण दहन की भव्यता के साथ ही अवशेष प्रबंधन का विवाद उफान पर है। रविंद्र मैदान और लाल किले पर 2 अक्टूबर को लाखों लोग जुटेंगे, जहां बॉबी देओल रावण दहन करेंगे। लेकिन एनजीटी ने सख्त निर्देश दिए हैं- रावण की मूर्तियां पर्यावरण-अनुकूल हों, अन्यथा जुर्माना। पिछले साल अवशेषों से यमुना प्रदूषित हुई थी, जिसकी आलोचना हुई। इस बार पूनम पांडे को मंदोदरी की भूमिका मिलने पर भी विवाद, वीएचपी और बीजेपी ने इसे 'अश्लील' बताया। समिति का कहना है, 'यह सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।' प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अवशेष निपटान की निगरानी करेगा, वरना आयोजन रद्द।

5 मैसूर दशहरा में हाथी उपयोग विवाद: क्रूरता या सांस्कृतिक धरोहर?

मैसूर दशहरा में हाथियों का उपयोग फिर सुर्खियों में है। 59 वर्षीय अभिमन्यु स्वर्ण हौदाह पर चढ़ेगा, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ता इसे 'यातना' बता रहे। पर्यावरणविदों का आरोप है कि हाथियों को क्रूरता से प्रशिक्षित किया जाता है, जो कल्याण के खिलाफ है। यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक विरासत घोषित होने के बावजूद, यह विवाद परंपरा बनाम आधुनिक नैतिकता का प्रतीक है।