
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। अपने संबोधन की शुरुआत 'भारत से नमस्ते' बोलकर की। उन्होंने कहा, ''नमस्ते फ्रॉम भारत (भारत की ओर से नमस्ते)।" इसके बाद तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया आज बेहद उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रही है। ऐसे समय में भारत ने G20 के अध्यक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। यह समय हमारी उपलब्धियों और चुनौतियों का जायजा लेने का है।
वे दिन बीत गए जब कुछ राष्ट्र…
विदेश मंत्री ने कहा, ''एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है। वे दिन बीत गए जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें।'' उन्होंने कहा, ''अब भी कुछ ऐसे देश हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं।
यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता।'' उन्होंने कहा, ''जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।'' उन्होंने कहा, ''गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने ‘विश्व मित्र’ की अवधारणा विकसित की है।''
सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद पर एक्शन नहीं लेना चाहिए
जयशंकर ने हरदीप सिंह निज्जर को लेकर कनाडा विवाद के बीच न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए। अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता। अभी भी कुछ देश ऐसे हैं, जो एक तय एजेंडे पर काम करते हैं लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता और इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। जब वास्तविकता, बयानबाजी से कोसों दूर हो जाती है तो हमारे भीतर इसके खिलाफ आवाज उठाने का साहस होना चाहिए।
दुनिया ने भारत की क्षमता को पहचाना
जयशंकर कहा कि भारत ने अमृतकाल में प्रवेश कर गया है। हमें विश्वास है कि हमारी प्रतिभा को दुनिया ने पहचान लिया है। हमारा चंद्रयान-3 चांद पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि जब हमारा पड़ोसी मुल्क श्रीलंका आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था तब हम सबसे पहले मदद को आगे आए थे।
दुनिया ने हमारे योगदान को सराहा भी है। हम हमेशा से कानून आधारित व्यवस्था में विश्वास रखते हैं। लेकिन अभी भी कुछ देश ऐसे हैं, जो एक तय एजेंडे पर काम करते हैं लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता और इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। एक निष्पक्ष, समान और लोकतांत्रिक व्यवस्था का सभी को पालन करना चाहिए।
भारत जिम्मेदारी महसूस करता है
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने संबोधन के दौरान कहा, ''भारत अपनी जिम्मेदारी महसूस करता है। विश्व की वित्तीय संस्थाओं में बदलाव होना चाहिए। यूएनएसी में बदलाव होना चाहिए। दुनिया उथल-पुथल के दौर का सामना कर रही है। कूटनीति और बातचीत ही तनाव को कम कर सकती है। विश्व से भूख और गरीबी को मिटाना है। दुनिया में कई जगह संघर्ष चल रहा है। दुनिया के सामने बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा, ''भारत में हाल में जी-20 शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ। विश्व के सामने विकास की चुनौति है। इंडिया हर एक चीज को पहले कर रहा है।''
चीन और पाकिस्तान पर निशाना
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने भाषण के दौरान परोक्ष रूप से चीन और पाकिस्तान पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, ''बाजार की शक्ति का इस्तेमाल भोजन और ऊर्जा को जरूरतमंदों से अमीरों तक पहुंचाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, न ही हमें इसका समर्थन करना चाहिए कि राजनीतिक सुविधा आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा प्रतिक्रियाएं निर्धारित करे।
इसी तरह चेरी-पिकिंग (किसे चुने और किसे नहीं) के रूप में क्षेत्रीय अखंडता काे सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का अभ्यास नहीं किया जा सकता है. जब वास्तविकता बयानबाजी से दूर हो जाती है तो हमें इसे सामने लाने का साहस होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यूएनजीए में UNSC में बदलाव की भी बात की।
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Published on:
26 Sept 2023 08:30 pm
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