
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट को सूचित किया कि CBI मामले में प्राप्त मंजूरी न केवल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत अपराधों को कवर करने के लिए पर्याप्त व्यापक है, बल्कि समान तथ्यों से उत्पन्न होने वाले अन्य संभावित अपराध भी हैं। यह दलील दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आई, जिन्होंने दावा किया था कि उन्हें उनके खिलाफ ED मामले में मंजूरी आदेश की प्रति नहीं मिली है।
केजरीवाल ने अपनी याचिका में हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट की एक सुनवाई की ओर इशारा किया, जहां ED का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि आरोप पत्र दायर करते समय आवश्यक मंजूरी प्राप्त की गई थी।
अपने जवाब में, ED के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने स्पष्ट किया कि CBI मामले में प्राप्त मंजूरी न केवल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम को कवर करने के लिए पर्याप्त व्यापक थी, बल्कि अन्य अपराध भी थे। ईडी की दलीलों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति कावेरी बावेजा की पीठ ने केजरीवाल की याचिका का निपटारा कर दिया।
अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मुदित जैन ने पहले कहा था कि आरोप पत्र के साथ उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों, जिन पर भरोसा किया गया और जिन्हें जारी नहीं किया गया, में आवश्यक मंजूरी की कोई प्रति शामिल नहीं थी। 21 नवंबर, 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कथित आबकारी नीति घोटाले में उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।
Published on:
30 Nov 2024 02:39 pm
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