
चुनाव आयोग के नियमों में बदलाव के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने इस मामले में मंगलवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की। याचिका में चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने वाली आवश्यक जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच को समाप्त करने के आधार पर संशोधन को चुनौती दी गई है।
चुनाव संचालन नियमों के पहले के नियम 93(2)(ए) में कहा गया था कि चुनाव से संबंधित सभी अन्य कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे। जबकि अब नियम के संशोधित संस्करण में कहा गया है कि चुनाव से संबंधित निर्दिष्ट या निर्धारित दस्तावेज ही सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे, जिनका नियमों में जिक्र किया गया है।
प्रतिबंधित सामग्रियों में सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग क्लिप और चुनाव के दौरान उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग शामिल हैं। माना जा रहा है कि यह कदम पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा चुनाव आयोग (EC) को हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव संबंधी सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जाने के बाद उठाया गया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (X) पर पोस्ट में कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, इसलिए इसे एकतरफा और सार्वजनिक विचार-विमर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण नियम में संशोधन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा तेजी से कम हो रही है, उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा। चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार ने संचालन नियम, 1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया था। इसके तहत चुनाव प्रक्रिया के दौरान सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग आम जनता को नहीं मिल सकती।
Published on:
25 Dec 2024 08:52 am
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