बता दें कि जवाहर लाल नेहरू तिब्बत को लेकर चीन की नीति का समर्थन किया था। यही नहीं बंजर जमीन कहकर आक्साइ चिन का काफी हिस्सा चीन को दे दिया था। उनका चीन से लगाव इतना था कि UNसिक्युरिटी काउन्सल की स्थाई सीट जब ताइवान ने ऑफर की तो उन्होंने इसे चीन को देकर उसे और मजबूत किया था। चीन ने इसका फायदा उठाया ताइवान पर अपना हक जमाने लगा था।
वहीं, 2003 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने तिब्बत को चीन का हिस्सा माना था। इसके बदले चीन ने सिक्किम को भारत का हिस्सा माना था। नेहरू के समय भी तिब्बत को लेकर भारत की नीति काफी लचर रही थी। ऐसे में कई अवसरों पर तिब्बत और ताइवान के मुद्दा भारत में उठता रहा है।