
ऊर्जित पटेल को मिली बड़ी जिम्मेदारी (फोटो-IANS)
केंद्र की मोदी सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में कार्यकारी निदेशक के तौर पर नियुक्त किया है। उनका यह कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। इससे पहले साल 2016 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का गवर्नर नियुक्त किया गया था। उन्होंने रिजर्ब बैंक के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन की जगह ली थी। वहीं, उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान ही सरकार ने साल 2018 में निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान का चेयरमैन नियुक्त किया गया था।
मोदी सरकार ने उर्जित पटेल की रिपोर्ट के आधार पर ही नोटबंदी का फैसला लिया था। उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान RBI ने महंगाई दर की सीमा तय की गई थी। उर्जित पटेल द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई 4 फीसदी की सीमा के नीचे ही रहनी चाहिए या रखना चाहिए। जिसके बाद महंगाई दर के लक्ष्य को निर्धारित किया गया था। केन्या में जन्मे उर्जित पटेल आईएमएफ में पांच साल तक काम कर चुके हैं। पटेल ने येल यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एम. फिल. और लंदन विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल की है।
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के कार्यकारी बोर्ड सदस्य देशों और सदस्य देशों की समूह की ओर से चुने गए 25 निदेशकों से बना होता है। भारत चार देशों के निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जिसके सदस्य बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान हैं। IMF के कार्यकारी बोर्ड में नियुक्ति से पहले उर्जित पटेल एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (AIIB) में निवेश संचालन (क्षेत्र 1) के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। बीजिंग स्थित इस बहुपक्षीय वित्त पोषण संस्थान के अनुसार, पारिवारिक स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने जनवरी 2024 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
Published on:
29 Aug 2025 11:56 am
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