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भाजपा के विजय पथ पर फ्री स्कीम्स और OPS के ‘स्पीड ब्रेकर’, कांग्रेस का बढ़ रहा ग्राफ

BJP Strategy and Challenges : कर्नाटक में मिली करारी शिकस्त के बाद BJP अब आत्ममंथन कर रही है। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की मुफ्त की स्कीमों से बीजेपी को तगड़ा नुकसान हुआ। यही हाल हिमाचल चुनाव में भी देखने को मिला। अब आने वाले चुनाव से पहले बीजेपी, विपक्ष की इस चाल की काट तलाशने में जुट गई है।

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भाजपा के विजय पथ पर फ्री स्कीम्स और OPS का 'स्पीड ब्रेकर'

BJP Strategy and Challenges : 13 मई को कर्नाटक चुनाव का नतीजा आया। भाजपा को इस चुनाव में कांग्रेस ने करारी शिकस्त दी। उसके बाद से भारतीय जनता पार्टी में आत्ममंथन का दौर जारी है। चुनाव विश्लेषकों और भाजपा सूत्रों का कहना है कि चुनाव में कांग्रेस की मुफ्त स्कीमों से उन्हें नुकसान झेलना पड़ा है। महिलाओं के लिए मुफ्त बिजली और हर महीने ₹2000 के कांग्रेस के वादों ने भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे में भाजपा को विपक्ष के इस तरह के लोकलुभावन उपायों से निपटने के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार करने की जरूरत है, ताकि 2024 की राह आसान हो सके।

Congress की सत्ता में वापसी की राह

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही। वोट शेयर का अंतर ज्यादा नहीं था, फिर भी पार्टी को अच्छी खासी सीटें मिली, जिससे बिना कोई उठापटक के यहां कांग्रेस की सरकार बन गई। लेकिन एक समय कांग्रेस की धीमी पड़ रही चुनावी कैंपेन को ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) ने गति दी। क्योंकि यहां की आबादी का एक बड़ा हिस्सा सरकारी नौकरियों में है।

भाजपा ने इसके जवाब में डबल इंजन की पिच बनाई। जिसका अर्थ था कि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सत्ता में होना, सभी मोर्चों पर राज्य में विकास की गारंटी देता है। लेकिन कांग्रेस के नेता जोर देकर सिर्फ यही कहते रहे कि इस राज्य में स्थानीय मुद्दा सबसे ज्यादा मायने रखता है और ओल्ड पेंशन स्कीम को हम लागू करके रहेंगे। क्योंकि हमारे राज्य की बड़ी आबादी इससे लाभान्वित होगी। इस वादे ने कांग्रेस को काफी फायदा पहुंचाया।

[typography_font:18pt]कर्नाटक चुनाव में भी कई लोकलुभावन वादे किए

कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के दौरान कई वादे किए। जिनमें पुरानी पेंशन बहाल करने, 200 यूनिट तक बिजली फ़्री देने, 10 किलो अनाज मुफ़्त देने, बेरोजग़ारी भत्ता देने और परिवार चलाने वाली महिला मुखिया को आर्थिक मदद की बात कही थी। ये सभी ऐसी घोषणाएं हैं, जिनसे आम लोगों का जुड़ाव ज्यादा है। इन लोकलुभावन वादों को कर्नाटक की जनता पर खूब असर पड़ा।

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कर्नाटक जीतने के बाद राहुल बोले पहली मीटिंग में पूरे करेंगे 5 वादे

चुनाव परिणाम आने के बाद राहुल गाँधी ने अपने पहले बयान में ही कहा, हमने जनता से 5 वादे किए थे। इन वादों को पहले दिन, पहली कैबिनेट मीटिंग में पूरा किया जाएगा। बता दें कि, कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कर्नाटक की जनता को 5 गारंटी दी थी। कांग्रेस ने कहा था कि कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम में सभी महिलाओं के लिए फ्री यात्रा की सुविधा दी जाएगी।

नई शिक्षा नीति को रद्द करके राज्य शिक्षा नीति को लागू किया जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों में कन्नड़ भाषा और संस्कृति का विकास किया जाएगा और सभी समुदायों की आशाओं को संयोजित करने के लिए आरक्षण की सीमा को 50% से बढ़ाकर 75% किया जाएगा।

इसके अलावा कांग्रेस ने यह भी वादा किया था कि परिवार की हर महिला प्रधान को हर महीने मासिक भत्ते के तौर पर ₹2000 की सहायता राशि दी जाएगी। इसके अलावा बेरोजगार स्नातकों को 2 साल के लिए ₹3000 प्रति महीने और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को 1500 रुपए प्रतिमाह दिया जाएगा। इन सभी वादों पर राज्य की जनता ने भरोसा जताया और कांग्रेस को इसका सीधा फायदा हुआ।


Congress का बढ़ रहा ग्राफ

इधर देखते ही देखते कांग्रेस का ग्राफ फिर से देश में बढ़ने लगा है।


2014 के बाद एक समय कांग्रेस का ग्राफ काफी नीचे आ गया था।

कई नेताओं ने पार्टी के अस्तित्व पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। फिर 2018 में जब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने सरकार बनाई, तब कांग्रेस पार्टी में उम्मीद की किरण जगी थी। लेकिन कुछ महीने बाद ही मध्यप्रदेश में उनकी सरकार गिर गई।
फिर कर्नाटक में भी उनके गठबंधन सरकार के साथ यही खेला हो गया।

पिछले कई महीनों से देश की सबसे पुरानी पार्टी के पास केवल छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ही सरकार बची थी।

लेकिन इस साल मार्च में हुए चुनाव में कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार बनाई।

अब 1990 के बाद कांग्रेस को कर्नाटक में सबसे बड़ी जीत मिली है। जिसमें सबसे बड़ा योगदान इन्हीं फ्री स्कीमों का बताया जा रहा है।

अब कांग्रेस की देश भर में 4 राज्यों में सरकार है।