कांग्रेस ने इलाहाबाद सीट पर आखिरी बार 1984 में लोकसभा चुनाव जीता था, तब सुपर स्टार अमिताभ बच्चन सांसद निर्वाचित हुए थे। तब से कांग्रेस यहां जीत के लिए तरस रही है। इस बार इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है। क्षेत्र में चुनावी माहौल की टोह लेने के लिए सबसे पहले मैं संगम स्थल पहुंचा। चूंकि इस लोकसभा में मल्लाहों के वोट निर्णायक माने जाते हैं तो मैंने मल्लाह बगरू निषाद से बात शुरू की तपाक से जवाब मिला कि मोदी-योगी ने अच्छा काम किया है। इलाके में गुंडागर्दी समाप्त कर दिया है। अब बहू-बेटी का आना जाना सुरक्षित हो गया है। महंगाई तो जरूर बढ़ी है, लेकिन इसे कोई कम भी तो नहीं कर सकता है। वहीं दुर्गा भगत कहते हैं कि माहौल सही है, मोदी ही आएंगे। वजह यह है कि वे सबको खाना दे रहे हैं। इससे अच्छा कौन करेगा, बताओ। बाबू, उन्होंने हमारे भगवान राम का भव्य मंदिर बना दिया है। यह तो भगवान आया है। यहां देखो सब ओर विकास करवा रहा है।
ऑटोचालक कमलेश साहू ने कहा कि देखो अपने समय में कांग्रेस ने भी खूब काम करवाया है। अब देखो चुनाव में क्या होता है। वैसे अभी महंगाई-बेरोजगारी की समस्या ज्यादा है। सिविल लाइंस में अमरनाथ शर्मा कहने लगे कि चुनाव में इस बार जाति-बिरादरी ज्यादा चल रही है। हर कोई अपनी जाति के नेता का समर्थन कर रहा है। हम क्यों पीछे रहें? वैसे युवा वर्ग नौकरियों को लेकर परेशान दिख रहा है। मोतीलाल नेहरू अस्पताल के समीप कपड़े की दुकान चलाने वाले मोहम्मद इलियास का कहना है कि सरकार को बदलना चाहिए। इसके चलते काम धंधे ठप हो गए और महंगाई बढ़ गई है। रेलवे स्टेशन के समीप राजू मल्हार बोलने लगे कि योगी के काम को देखते हुए दो बार भाजपा को वोट दिया था। इस बार संविधान बदलने की बात हो रही है। इसलिए गठबंधन को वोट करेंगे।
कई दिग्गज नेता दिए
इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने। जबकि यहां से 1980 व 1988 में सांसद रह चुके विश्वनाथ प्रताप सिंह भी प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। वहीं मुरलीमनोहर जोशी, जनेश्वर मिश्र, हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज नेता भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
नेहरू से केशव मौर्य तक फूलपुर
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक कर्मभूमि रही है। वे यहां से 1951, 1957 और 1962 में चुनाव जीते। उनके बाद 1964 और 1967 में विजय लक्ष्मी पंडित, 1969 में जनेश्वर मिश्र, 1971 में विश्वनाथ प्रताप सिंह, 1977 में कमला बहुगुणा, 1980 में प्रो. बी.डी. सिंह, 1984, 1989 और 1991 में राम पूजन पटेल, 1996 और 1998 में जंग बहादुर पटेल, 1999 में धर्मराज पटेल, 2004 में अतीक अहमद, 2009 में कपिलमुनि करवरिया सांसद बने। वहीं 2014 में भाजपा ने पहली बार यहां जीत दर्ज की, तब केशव प्रसाद मौर्य यहां से सांसद बने। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद मौर्य उपमुख्यमंत्री बने और सांसदी छोड़ दी। 2018 के उपचुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन से सपा के नागेन्द्र सिंह पटेल चुनाव जीते। 2019 में फिर से भाजपा जीती।
फूलपुर में कांग्रेस वापसी को बेकरार
फूलपुर लोकसभा सीट से जवाहरलाल नेहरू तीन बार सांसद चुने गए और प्रधानमंत्री बने। इस सीट पर कांग्रेस ने 1984 में आखिरी बार जीत दर्ज की थी। जबकि सपा ने आखिरी आठ में से तीन चुनाव में जीत दर्ज की है। सपा ने 2018 में लोकसभा का उपचुनाव जीता था। अब सपा एक बार फिर वापसी के लिए बेकरार दिख रही है। इसके लिए सपा ने अमरनाथ मौर्य को टिकट दिया है। जबकि भाजपा ने सांसद केसरी देवी पटेल का टिकट काटकर विधायक प्रवीण पटेल को चुनाव में उतारा है।