
Gyanvapi Masjid Case Another Plea Filed By Ashwani Upadhyay In Supreme Court
ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी विवाद सेशंस कोर्ट से ट्रासंफर किए जाने के बाद सोमवार को इस मामले पर अहम सुनवाई होना है। लेकिन इस सुनवाई से पहले ही देश की सर्वोच्च अदातल में एक और नई याचिका दायर की गई है। ये याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है। इस याचिका के जरिए उपाध्याय ने देश की शीर्ष अदालत से खास मांग की है। वकील उपाध्याय ने याचिका के जरिए मांग की है कि, उनका पक्ष भी सुना जाए. उन्होंने कहा कि ये मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है। दरअसल, जिला जज अजय कुमार विश्वेश की कोर्ट में पहली बार केस ओपन होगा और केस की रोजाना सुनवाई भी की जा सकती है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत को 8 हफ्ते में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।
अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में रखी अपनी दलील
वकील अश्विनी उपाध्याय ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर खास मांग की है। उपाध्याय ने कहा है कि, उनका पक्ष भी सुना जाए। ये मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है।
उन्होंने कहा कि, सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है। ये सम्पत्ति हमेशा से उनकी रही है। ऐसे में किसी भी कीमत पर सम्पत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता।
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उपाध्याय ने याचिका दायर कर कहा कि, एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद, मन्दिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने और यहां तक कि नमाज पढ़ने से भी मन्दिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता।
उन्होंने कहा, जब तक कि विसर्जन की प्रकिया के जरिए मूर्तियों को वहां से हस्तांतरित न किया जाए तब तक मंदिर का धार्मिक स्वरूप कायम रहता है।
मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करने की मांग
याचिका के जरिए अश्विनी ने यह भी दलील दी है कि इस्लामिक सिद्धान्तों के मुताबिक भी मन्दिर तोड़कर बनाई गई कोई मस्जिद वैध मस्जिद नहीं है।
उन्होंने कहा कि, 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता। इसके साथ ही उपाध्याय ने याचिका में मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करने की मांग की है। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आज पहली बार इसकी सुनवाई जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में होगी।
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Published on:
23 May 2022 11:52 am
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