साफ-सफाई पर खर्च की गई राशि और भुगतान का पूरा हिसाब भी रखना होगा. शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से स्कूलों को बजट मिलेगा. इस राशि का भुगतान एसएमसी द्वारा किया जाएगा. स्कूल परिसर की साफ-सफाई में खामी मिली तो यह मामला अनुशासनहीनता के दायरे में आएगा. जिसके बाद प्रिसिंपल पर कार्रवाई की जाएगी.
साफ-सफाई से लिए मिलने वाली राशि का खर्च किस मद में कितना करना है इसका निर्णय एसएमसी की मासिक बैठक में होगी. निदेशालय की ओर से जारी पत्र में बताया गया है कि स्कूल परिसर की सफाई, चाहरदीवारी की सफाई, शौचालय व खेल मैदान की सफाई, जलभराव और निकासी का प्रबंध जैसे कार्य प्रतिमाह मिलने वाले 8000 रुपए में होंगे. इस काम के लिए किसी भी आदमी को आंशिक या पूर्णकालिक अनुबंध पर नियुक्ति नहीं जाएगी. उल्लेखनीय हो कि दिल्ली की सरकारी स्कूलों की देखादेखी में कई राज्यों में स्कूलों की व्यवस्था को दुरुस्त करने की पहल शुरू हुई है. जिसका फायदा वहां पढ़ने वाले बच्चों के साथ-साथ कार्यरत कर्मचारियों को भी मिलेगा.