
कांग्रेस महासचिव व पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज (Health and Climate Change) की नई रिपोर्ट को चिंताजनक बताया। उन्होंने राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक, 2009 की भी नए सिरे से समीक्षा की जरूरत बताई। जयराम ने बयान जारी कर कहा कि लैंसेट की एक नई रिपोर्ट में भारत में वायु प्रदूषण को लेकर कुछ व्यापक निष्कर्ष सामने आए हैं। इसमें बताया गया कि 2021 में भारत में कुल 16 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं। दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह ये बताने के लिए काफ़ी हैं कि आने वाले समय में कैसी चुनौतियां आने वाली हैं। उन्होंने बताया कि नासा के विज़िबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सुइट के आंकड़ों के अनुसार 2018 और मध्य अक्टूबर 2024 के बीच पराली जलाना 51% तक कम हुआ है। जबकि लंबे समय से दिल्ली के प्रदूषण स्तर के लिए पराली जलाने को दोषी ठहराया जाता रहा है।
जयराम ने कहा कि वायु प्रदूषण भारत की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है । पराली जलाने पर रोक लगाना पर्याप्त नहीं होगा। दिल्ली में होने वाले प्रदूषण में आधे से अधिक वाहनों से होता है। ऐसे में हमें नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और सार्वजनिक परिवहन में बड़े पैमाने पर बदलाव के साथ अपने आर्थिक और स्थिरता मॉडल पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। वायु प्रदूषण के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पढऩे वाले दुष्परिणाम को प्रतिबिंबि करने के लिए वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 पर फिर से अमल करने का समय आ गया है। साथ ही राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक, 2009 की भी नए सिरे से समीक्षा की ज़रूरत है।
Updated on:
31 Oct 2024 11:43 am
Published on:
31 Oct 2024 09:37 am
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