
देशभर में भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एकत्रित 1.12 लाख करोड़ रुपए में से करीब आधे का इस्तेमाल नहीं किया गया। राज्य सरकारों ने पैसा तो जमा किया, लेकिन श्रमिकों के कल्याण में फंड का इस्तेमाल करना भूल गई। भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम, 1996 के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड (BOCWWB) बनाना अनिवार्य है। राज्य में प्रत्येक 10 लाख से अधिक के निर्माण कार्य पर 1 प्रतिशत का उपकर लगाया जाता है। इसका उपयोग श्रमिकों के कल्याण के लिए किया जाता है।
राज्य सरकारें 1996 से अब तक 5.65 करोड़ पंजीकृत श्रमिकों के कल्याण के रूप में 1.12 लाख करोड़ रुपए एकत्रित कर चुकी हैं। मार्च, 2024 तक एकत्रित राशि में से केवल 64,193 करोड़ रुपए (57%) खर्च किए गए और 47,800 करोड़ रुपए (43%) अनुपयोगी रह गए। असम ने 23.9%, आंध्र प्रदेश ने 15.4%, गुजरात ने 18.2%, दिल्ली ने 21.9%, तमिलनाडु ने 39.9%, हिमाचल प्रदेश ने 46.5%, झारखंड ने 40.2% हरियाणा ने 47.1% राशि खर्च की। केरल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया और पूरी राशि (3,457 करोड़ रुपए) खर्च कर दी। ओडिशा ने 84.5%, मध्य प्रदेश ने 84.3%, तेलंगाना ने 76.5%, उत्तर प्रदेश ने 73.6% छत्तीसगढ़ ने 73.3% राशि खर्च की। बताया जाता है कि 31 मार्च, 2024 तक 64,193 करोड़ रुपए की राशि शेष पड़ी थी। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय इस रकम का इस्तेमाल कर न्यूनतम पेंशन योजना शुरू करने पर विचार कर रहा है। इस पर 76,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
Published on:
31 Oct 2024 09:10 am
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