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होलिका दहन और होली की डेट की उलझन सुलझी, यहां जानिए सही तारीख

होलिका दहन और होली की डेट को लेकर संशय हुआ खत्म। ज्योतिषियों ने आखिरकार घोषणा की। जानें डेट और समय। #होलिकादहन

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होलिका दहन और होली की डेट की उलझन सुलझी, यहां जानिए सही तारीख

इस बार होलिका दहन और होली की डेट को लेकर जनता में उलझन है। आखिर होलिका दहन कब है 6 मार्च या फिर 7 मार्च को। और इसी प्रकार होली को लेकर भ्रम की स्थिति फैली हुई है। होली कब खेली जाएगी 7 मार्च या आठ मार्च को। लगभग हर व्यक्ति का एक ही सवाल है होली कब है? पर ज्योतिषियों ने आखिरकार घोषणा कर दी है कि रंगों का त्योहार 8 मार्च है। ज्योतिषियों ने इसके पीछे तर्क दिया कि 'परेवा' के दिन रंग खेला जाता है, (फागुन महीने का पहला दिन) और होलिका दहन पूर्णिमा (परेवा से पहले पूर्णिमा का दिन) पर किया जाता है। इस साल पूर्णिमा की शाम से 'भद्र काल' शुरू हो रहा है, ऐसे में होलिका दहन के समय को लेकर विवाद है।

होलिका का शुभ मुहूर्त तीन बातों पर निर्भर

लखनऊ के राजाजीपुर निवासी ज्योतिषिचार्य अजय श्रीवास्तव ने बताया कि, यह हर व्यक्ति को विदित है कि, पहले होलिका दहन होता है फिर होली खेली जाती है। लेकिन अधिकतर लोगों को यह नहीं पता कि तिथि और समय कैसे तय होता है। इस वर्ष होलिका दहन और होली को लेकर कुछ भ्रम है। होलिका का शुभ मुहूर्त इन तीन अहम बात पर निर्भर करता है। पूर्णिमा की तिथि, सूर्यास्त के बाद का समय (जिसे प्रदोष काल कहा जाता है) और यह तथ्य कि भाद्र काल है या नहीं।

8 मार्च परेवा के दिन खेली जाएगी होली

अजय श्रीवास्तव ने आगे बताया कि, यदि पूर्णिमा के साथ भद्रा भी हो, तो होलिका दहन पुच्छ काल में यानी भाद्र के अंत की ओर किया जा सकता है। लखनऊ में, होलिका दहन 6 और 7 मार्च की रात 12.40 बजे से 2 बजे के बीच किया जा सकता है। क्योंकि पूर्णिमा तिथि 7 मार्च की शाम 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगी और इस कारण भी कि होलिका दहन सूर्यास्त के बाद किया जाता है। 8 मार्च को परेवा के दिन रंग खेला जाएगा।

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होलिका दहन का दिन व टाइम तय

वहीं पंडित राम केवल तिवारी ने कहा, इस साल होलिका दहन 6 और 7 मार्च की दरम्यानी रात को होगा। समय रात 12 बजकर 40 मिनट से सुबह 5 बजकर 56 मिनट के बीच हो सकता है। यानी होलिका दहन के 24 घंटे बाद ही होली खेली जाएगी।

28 साल पहले भी आया था यह संकट

तिवारी जी ने आगे कहाकि, आखिरी बार ऐसा 28 साल पहले 26 मार्च 1994 को हुआ था।होलिका दहन का मुहूर्त रात में सिफ कुछ घंटों के लिए हुआ था, क्योंकि उस साल भी पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ी थी। यह सूर्यास्त के बाद शुरू हुई थी और अगले दिन सूर्यास्त से पहले समाप्त हो गई थी।

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