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अमेरिकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर भारत ने चाबहार से अफगानिस्तान भेजी राहत

भारत ने ट्रंप के चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए चाबहार बंदरगाह से अपनी शिपमेंट बढ़ा दी है। भारत ने चाबहार पोर्ट के रास्ते अफगानिस्तान को राहत सामग्री भेजी है। जानिए, क्या कह रहे हैं इस पर विशेषज्ञ...

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चाबहार पोर्ट

चाबहार पोर्ट

अमेरिकी चेतावनियों की नरजअंदाज करते हुए भारत ने चाबहार बंदरगाह से शिपमेंट बढ़ा दी है। ताजा मामला अफगानिस्तान को राहत सामग्री भेजने का है। यहां हाल ही में आए भूकंप के बाद भारत ने काबुल को मानवीय सहायता के रूप में राहत सामग्री भेजी है। यह खेप चाबहार बंदरगाह के जरिए काबुल पहुंचाई गई, जहां भारतीय अधिकारियों ने इसे अफगान अधिकारियों को सौंपा।

राहत सामग्री में खाद्य सामग्री, वाटर प्यूरीफायर, प्रोटीन पाउडर, टिन की चादरें, स्लीपिंग बैग, स्वच्छता किट, जल भंडारण टैंक, जनरेटर सेट, पारिवारिक टेंट, कंबल और आवश्यक दवाइयां शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह खेप अफगानिस्तान को दी जा रही भारत की मानवीय सहायता का हिस्सा है। महीने की शुरुआत में भी भारत ने हवाई मार्ग से 21 टन राहत सामग्री भेजी थी, जिसमें टेंट, कंबल, चिकित्सा किट और बिजली जनरेटर शामिल थे। अब समुद्र मार्ग से भेजी गई यह खेप संकटग्रस्त अफगान लोगों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

चाबहार पोर्ट पर अमेरिका प्रतिबंध

गौरतलब है कि, चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने हाल ही में चेतावनी दी थी और इसे संचालन पर प्रतिबंध का संकेत दिया था। इसके बावजूद भारत ने अमेरिकी धमकियों को नजरअंदाज करते हुए राहत सामग्री काबुल भेजी। यह कदम न केवल अफगानिस्तान की मानवीय जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि भारत के क्षेत्रीय संपर्क लक्ष्यों और चाबहार कॉरिडोर के महत्व को भी रेखांकित करता है।

भारत ने दिखाई रणनीतिक स्वायत्तता

विशेषज्ञों के अनुसार, चाबहार बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए एक वैकल्पिक व्यापार और पारगमन मार्ग प्रदान करता है, जिससे पाकिस्तान को दरकिनार किया जा सके। अमेरिकी नीतिगत बदलावों के बावजूद भारत ने शिपमेंट बढ़ाकर अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय महत्व को भी मजबूत किया है। इस तरह, भारत ने संकटग्रस्त अफगान लोगों की मदद करते हुए अपनी भू-राजनीतिक रणनीति को भी स्पष्ट संदेश दिया है।