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डिजिटल कोर्ट और जस्टिस ऐप ने बदली भारत की न्यायपालिका,जानें कैसे बना वैश्विक कीर्तिमान

india Digital Judiciary: भारत की डिजिटल न्याय प्रणाली ने यूएनएचआरसी में वैश्विक प्रशंसा बटोरी। ई-कोर्ट्स और जस्टिस ऐप ने सुलभ और कुशल न्याय व्यवस्था को बढ़ावा दिया।

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भारत

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MI Zahir

Sep 26, 2025

india Digital Judiciary

ईसीओ फॉन सोसाइटी के सीईओ, साई संपत मेट्टू। (फोटो : एएनआई)

Digital Judiciary: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 60वें सत्र में ईसीओ फॉन सोसाइटी के सीईओ साई संपत मेट्टू ने भारत की न्याय प्रणाली में सुधारों की तारीफ की। उन्होंने भारत के डिजिटल प्रयासों और न्याय तक सभी की पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में किए गए कार्यों को रेखांकित किया। मेट्टू ने बताया कि भारत ने प्रौद्योगिकी के उपयोग से न्यायपालिका को और अधिक पारदर्शी, तेज़ और सुलभ बनाया है, जो वैश्विक स्तर पर एक मिसाल है। भारत की ई-कोर्ट्स मिशन और जस्टिस ऐप जैसी पहल ने न्याय वितरण को आसान और प्रभावी बनाया है। इन डिजिटल उपायों ने विशेष रूप से महिलाओं, ग्रामीण लोगों और दिव्यांगजनों जैसे वंचित समूहों को लाभ पहुँचाया है। इन तकनीकों की मदद से लोग बिना किसी जटिल प्रक्रिया के कानूनी सहायता प्राप्त कर पा रहे हैं। इन प्रयासों ने न्याय प्रणाली को और अधिक समावेशी बनाया है, जिससे हर नागरिक को समान अवसर मिल रहे हैं।

महामारी में भी नहीं रुका न्याय का पहिया

कोविड-19 महामारी ने वैश्विक न्याय प्रणालियों के लिए कई चुनौतियाँ खड़ी कीं, लेकिन भारत ने वर्चुअल सुनवाई को अपनाकर इनका सामना किया। इस तकनीक ने न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं को सुचारू रखा, बल्कि डिजिटल उपकरणों को नियमित अदालती कामकाज में शामिल करने की गति को भी बढ़ाया। भारत की यह लचीलापन और अनुकूलनशीलता दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन गई है।

भारी निवेश से मज़बूत हुई न्यायपालिका

मेट्टू ने बताया कि भारत सरकार ने न्यायिक ढाँचे और डिजिटल तकनीक में 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इस निवेश का लक्ष्य एक ऐसी न्याय प्रणाली बनाना है जो सभी के लिए सुलभ हो और मानवाधिकारों की रक्षा करे। यह प्रयास न केवल भारत के नागरिकों के लिए बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी एक मज़बूत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

विश्व के लिए प्रेरणा बना भारत

मेट्टू ने जोर देकर कहा कि न्याय तक पहुँच एक बुनियादी मानव अधिकार है। भारत का डिजिटल न्याय मॉडल विकासशील और अल्पविकसित देशों के लिए एक आदर्श है। उन्होंने अन्य देशों से भारत के सुधारों का अध्ययन करने और उन्हें अपनाने की सलाह दी, ताकि निष्पक्षता और कानून के शासन को बढ़ावा मिले। भारत की यह पहल न केवल तकनीकी उन्नति को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक समानता और मानवाधिकारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी उजागर करती है।

तकनीक और नवाचार से हर व्यक्ति तक पहुँचाया जा सकता है न्याय

बहरहाल भारत की डिजिटल न्याय प्रणाली ने न केवल देश में बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी छाप छोड़ी है। यूएनएचआरसी में भारत के प्रयासों की प्रशंसा इस बात का सुबूत है कि तकनीक और नवाचार के दम पर न्याय को हर व्यक्ति तक पहुँचाया जा सकता है। भारत का यह मॉडल दुनिया भर के देशों के लिए एक प्रेरणा है, जो न्यायिक सुधारों के माध्यम से अपने नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य बना सकते हैं। (एएनआई)