
𝐒𝐚𝐦𝐮𝐝𝐫𝐚𝐲𝐚𝐚𝐧 𝐌𝐢𝐬𝐬𝐢𝐨𝐧: जल, थल और नभ। अब भारत का तीनों पर वर्चस्व होगा। भारत अब चंद्रयान के बाद थल और नभ में वर्चस्व स्थापित करने के बाद समुंदर में भी गोता लगाने की तैयार कर रहा है। इस समुद्री अभियान में तीन वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं। यह वैज्ञानिक पहली बार विशेष स्वदेशी पनडुब्बी के माध्यम से समुद्र में 6000 मीटर नीचे गोता लगाएंगे। यहां समुद्र की गहराइयों में छिपे खनिजों के रहस्य पर से पर्दा उठाएंगे। इससे भारत को काफी आर्थिक बल मिलने की संभावना है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि 2024 की पहली तिमाही में 500 मीटर की गहराई पर विशेष स्वदेशी पनडुब्बी का समुद्री परीक्षण करेंगे। 2026 तक इस मिशन को लांच किया जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन सहित केवल कुछ देशों ने मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की है। भारत की पनडुब्बी में 96 घंटे की ऑक्सीजन आपूर्ति होगी। इसे 12 से 16 घंटे तक लगातार संचालित किया जा सकता है।
भारत करेगा समुद्र मंथन
समुद्र। यह केवल अथाह पानी की ही जगह नहीं है बल्कि अथाह संपदा की जगह भी है। पुराणों में दर्ज समुद्र मंथन इसका प्रमाण है। इसका आधुनिक काल में भी पेट्रोलियम भी उदाहरण है। इसी तर्ज पर अब मोदी सरकार भी समुद्र मंथन की तैयारी कर रही है। यह वजह हैं कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने गहरे समुंदर में उतरने की तैयारी कर रही है। समुद्र अब केवल यात्रा, पयर्टन या फिर सैर की जगह नहीं होगी बल्कि भारत के आर्थिक क्रांति की भी आधारशिला होगी।
तैयार की गई है विशेष पनडुब्बी
मत्स्य 6000 का पहला परीक्षण जनवरी 2024 में किया जाएगा। इसे चेन्नई तट से बंगाल की खाड़ी में उतारने की तैयारी है। टाइटैनिक मलबे को देखने के लिए गहरे समुंदर में उतरे पर्यटकों मौत के बाद पनडुब्बी निर्माण को लेकर विशेष सावधानी बरती जा रही है। राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान निदेशक जीए रामदास ने बताया कि तीन लोगों के लिए मत्स्य 6000 का 2.1 मीटर व्यास गोला बनाया जा रहा है। यह गोला 6,000 मीटर की गहराई पर 600 बार और समुद्र स्तर के दबाव से 600 गुना अधिक भारी दबाव को झेलने के लिए 80 मिमी मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया जा रहा।
समुद्र में खजाना खोजेंगे वैज्ञानिक
इसके माध्यम से कोबाल्ट, निकल, मैग्नीज जैसे कई कीमत धातु को खोजने की तैयारी है। भारत सरकार ने इस मानवयुक्त मिशन के लिए करीब 4 हजार 77 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। पांच साल में इसके विभिन्न चरणों में समुद्री खोज का क्रियान्वयन किया जाएगा।
क्या है यह मिशन
भारत का गहरे समुद्र में यह पहला अभियान है। इसके अंतर्गत तीन व्यक्ति 6000 मीटर नीचे समुद्र में कीमती धातुओं की खोज करेंगे। इसके विशेषयान मत्स्य 6000 का निर्माण चेन्नई स्थित राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान कर रहा है। यह पूरा आपरेशन 12 घंटे का होगा लेकिन आपात स्थिति के लिए इसे 96 घंटे तक हिसाब से तैयार किया गया है। यह 6000 करोड़ रुपए के समुद्री अभियान का हिस्सा है।
ये इसका फायदा
गहरे समुद्र को समझने में मदद मिलेगी। इससे समुद्र में उन जगहों को भी खोजा जा सकेगा जहां अभी तक मानव की पहुंच नहीं है। यह भारत सरकार के उस मिशन को पहचान देगा जो पूरे विश्व के फलक पर दिखाना चाहता है। न्यू इंडिया। भारत इसे ब्लू इकोनॉमी के नाम से प्रचलित करना चाहता है और यह भारत के दस मुख्य बिंदुओं में से एक है।
क्या है गहरा समुद्र?
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने इस योजना को जून 2021 में मंजूरी दी थी। इसके माध्यम से भारत सरकार ब्लू इकोनॉमी को नए स्तर पर ले जाना चाहता है। गहरे समुद्र में कई अन्य कीमती पदार्थ की खोज होगी। इसके साथ ही कई नई तकनीक भी आएगी जोकि समुद्री खोज और सुरक्षा के लिए मददगार होगी।
Published on:
12 Sept 2023 05:55 pm
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