2. यह भारत की कूटनीतिक दुविधा ही है कि वो खिलकर रूस के खिलाफ नहीं जा सकता। इसके पीछे का कारण रूस के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों और सैन्य आपूर्ति के लिए रूस पर भारत की निर्भरता है। भारत का 60-70% सैन्य हार्डवेयर से ही आता है। एक ऐसे समय में भी रूस भारत की मदद के लिए तैयार था जब चीन भारत को आँखें दिखा रहा था। गलवाँ घाटी में भारत और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध देखने को मिला था। जब रूस ने डोनेट्स्क और लुहांस्क को अलगाववादी क्षेत्र घोषित किया था तब भी भारत ने इसकी निंदा नहीं की थी। भारत ने खुद को तटस्थ ही रखा लेकिन अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिमी गुट ने इसपर आपत्ति जताई थी।
यहाँ भारत ने रूस को सांकेतिक शब्दों में पहली बार चेताया था कि रूस के एक्शन से यूक्रेन और रूस दोनों देशों के बीच टेंशन बढ़ेगा।
भारत लगातार इस चिंता को व्यक्त कर चुका है कि वो भारतीय छात्रों को किसी भी तरह से यूक्रेन से बाहर निकालना चाहता है। इसके बाद यूक्रेन ने भी अपने यहाँ सभी कॉलेजों को आदेश दिया कि वो भारतीय छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लाससेस को शुरू करें। इसके साथ ही उसने भारतीय छात्रों को जल्द से जल्द देश छोड़ने के लिए भी कहा था। यूक्रेन के इस कदम से भारत को भी राहत मिली थी।
हालांकि, यूक्रेन का एयरस्पेस बंद होने से अब भारत की चिंता और बढ़ गई है। भारत ने अपने नागरिकों को शांति और धैर्य बनाए रखने को कहा है।
अब जब दोनों देशों के बीच जंग शुरू हो चुकी है तो पूरी दुनिया की निगाहें भारत के रुख पर टिकी हैं। इधर यूक्रेन ने भी भारत से रूस से बातचीत करने की अपील की है। इसके बाद पीएम मोदी ने हाई लेवल की मीटिंग की और अब कहा जा रहा है कि वो आज रात रूसी राष्ट्रपति से बातचीत करेंगे।
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