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रूस-यूक्रेन के बीच जंग में क्या है भारत का रुख, क्या है डिप्लोमेटिक दुविधा

Published: Feb 25, 2022 06:07:05 am

Submitted by:

Mahima Pandey

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग पर सभी देशों के अपना रुख स्पष्ट किया है परंतु भारत का रुख अभी भी संतुलित है। आखिर क्या कारण है इसके पीछे?

India response and reasons for its position over Russia-UKraine war

India response and reasons for its position over Russia-UKraine war

रूस और यूक्रेन में जंग के बीच भारत का स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है। जबसे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति देखने को मिली है भारत का रुख स्वतंत्र और संतुलित ही देखने को मिला है। भारत ने खुलकर दोनों में से किसी को भी खुलकर समर्थन नहीं किया है। जब रूस ने हमले की घोषणा की तब भी यूएन में भारत के शीर्ष राजनयिक ने इसपर केवल खेद जताया और कहा कि स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है। इसके बाद ही रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर एक के बाद एक धमाके करने शुरू कर दिए। फिर भी भारत की तरफ से शांति की अपील की गई और इस तनाव को खत्म करने की भी अपील सुनाई दी। परंतु सवाल ये है कि भारत के समक्ष कैसी कूटनीतिक दुविधा है? उसका स्पष्ट रुख अभी तक सामने क्यों नहीं आया है? तो चलिए कुछ बिंदुओं में समझते :
1. पश्चिमी देशों ने रूस के एक्शन को नजरअंदाज किया और फिर इस हमले की निंदा की। जबकि भारत ने तब भी “क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता” का मुद्दा उठाया था।


2. यह भारत की कूटनीतिक दुविधा ही है कि वो खिलकर रूस के खिलाफ नहीं जा सकता। इसके पीछे का कारण रूस के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों और सैन्य आपूर्ति के लिए रूस पर भारत की निर्भरता है। भारत का 60-70% सैन्य हार्डवेयर से ही आता है। एक ऐसे समय में भी रूस भारत की मदद के लिए तैयार था जब चीन भारत को आँखें दिखा रहा था। गलवाँ घाटी में भारत और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध देखने को मिला था। जब रूस ने डोनेट्स्क और लुहांस्क को अलगाववादी क्षेत्र घोषित किया था तब भी भारत ने इसकी निंदा नहीं की थी। भारत ने खुद को तटस्थ ही रखा लेकिन अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिमी गुट ने इसपर आपत्ति जताई थी।
3. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा था कि रूस और यूक्रेन की सीमा पर तनाव का बढ़ना गहरी चिंता का विषय है। इन घटनाक्रमों में क्षेत्र की शांति और सुरक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।

यहाँ भारत ने रूस को सांकेतिक शब्दों में पहली बार चेताया था कि रूस के एक्शन से यूक्रेन और रूस दोनों देशों के बीच टेंशन बढ़ेगा।
4. भारत को 20,000 भारतीय छात्रों और नागरिकों की चिंता है, जिनमें से कई यूक्रेन-रूस सीमा के करीब रहते हैं। इनमें से कई छात्र यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों में नामांकित हैं।

भारत लगातार इस चिंता को व्यक्त कर चुका है कि वो भारतीय छात्रों को किसी भी तरह से यूक्रेन से बाहर निकालना चाहता है। इसके बाद यूक्रेन ने भी अपने यहाँ सभी कॉलेजों को आदेश दिया कि वो भारतीय छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लाससेस को शुरू करें। इसके साथ ही उसने भारतीय छात्रों को जल्द से जल्द देश छोड़ने के लिए भी कहा था। यूक्रेन के इस कदम से भारत को भी राहत मिली थी।
हालांकि, यूक्रेन का एयरस्पेस बंद होने से अब भारत की चिंता और बढ़ गई है। भारत ने अपने नागरिकों को शांति और धैर्य बनाए रखने को कहा है।
5. भारत बार-बार दोनों पक्षों से एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए राजनयिक प्रयासों को तेज करने के लिए आगाह करता रहा है। भारत के दोनों देशों के साथ संबंध अच्छे होने के कारण वो किसी एक को सही या दूसरे को गलत ठहराने का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है। पश्चिमी देशों ने जंग के लिए रूस को ही दोषी ठहराया है। वहीं, पुतिन इसके नाटो के विस्तार की योजना को दोषी ठहराते आए हैं।

अब जब दोनों देशों के बीच जंग शुरू हो चुकी है तो पूरी दुनिया की निगाहें भारत के रुख पर टिकी हैं। इधर यूक्रेन ने भी भारत से रूस से बातचीत करने की अपील की है। इसके बाद पीएम मोदी ने हाई लेवल की मीटिंग की और अब कहा जा रहा है कि वो आज रात रूसी राष्ट्रपति से बातचीत करेंगे।

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