scriptजानवर नहीं, अंतरिक्ष में सीधे मानव को ही भेजेगा भारत | india will be first nation that directly send human in space | Patrika News

जानवर नहीं, अंतरिक्ष में सीधे मानव को ही भेजेगा भारत

locationबैंगलोरPublished: Sep 14, 2018 05:27:41 pm

ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश होगाअंतरिक्ष यात्रियों का चयन 12-14 महीने में

isro

पांडियन फिलहाल महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रणोदन प्रणाली परिसर (IPRC) के निदेशक हैं। अब वे १ अगस्त से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक का प्रभार संभालेंगे। वहीं एस पांडियन की जगह आईपीआरसी का निदेशक विशिष्ट वैज्ञानिक टी. मुकैय्या को बनाया गया है। मुकैय्या फिलहाल विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में एसोसिएट निदेशक (अनुसंधान एवं विकास) के पद पर कार्यरत हैं। वे १ अगस्त से आईपीआरसी के निदेशक का प्रभार संभालेंगे।

राजीव मिश्रा

बेंगलूरु. भारतीय मानव मिशन में प्रणालियों की जांच के लिए अंतरिक्ष में पहले कोई जानवर नहीं भेजा जाएगा जैसा कि अन्य देश करते आए हैं। भारत अपने पहले ही प्रयास में सीधे अंतरिक्ष यात्रियों को ही भेजेगा और ऐसा करने वाला वह विश्व का पहला देश होगा।
यहां 57 वें भारतीय वांतरिक्ष चिकित्सा सम्मेलन के पहले दिन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आइएएम) के कमांडेंट एयर कोमोडोर अनुपम अग्रवाल ने कहा कि भारत विश्व का पहला ऐसा देश होगा जो अपने मानव मिशन के तहत सीधे अंतरिक्ष यात्रियों को ही भेजेगा। यह एयरोस्पेस मेडिसिन के लिए एक बड़ी चुनौती है लेकिन संस्थान देश की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। उन्होंने कहा कि मानव मिशन बड़ी चुनौती होती है। खासकर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए, जिन्हें एक छोटे से यान (गगनयान) में लंबे समय तक रहना होता है। इस छोटे से कैप्सूल में रहने के कारण उत्पन्न थकान या अलगाव जैसी स्थितियां बड़े प्रभाव डालती हैं।
अंतरिक्ष यात्रा पर निकलने वाले यात्रियों को ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ेगा। अंतरिक्ष की कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में रहने के लिए उन्हें सही ढंग से प्रशिक्षित करना होगा, जो कि एक बड़ी चुनौती है। परंतु आइएएम को विश्वास है कि वह प्रधानमंत्री द्वारा तय समय सीमा के भीतर इसे पूरा करेगा।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में यात्रियों का जीवन अनूठा होता है और प्रशिक्षण के दौरान उन चीजों को बारीकी से समझना होगा। अंतरिक्ष यात्रियों के चुनाव के लिए 12 से 14 महीने का समय लगेगा। लेकिन, एक बार जिन अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव होगा वे अगले दस वर्ष के लिए फिट होंगे। संस्थान चाहता है कि एक बार अंतरिक्ष यात्रियों का चुनाव हो जाए तो वह लंबे समय तक योग्य बने रहें क्योंकि उनके प्रशिक्षण आदि पर भारी खर्च होगा। अंतरिक्ष में एक छोटे से यान में रहने व अलगाव जैसी परिस्थितियों की वजह से छोटी-छोटी बातें भी बड़ा मुद्दा बन सकती हैं, जो किसी बड़ी समस्या को जन्म दे सकती है। इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों के चुनाव में हर एक सूक्ष्म पहलू को ध्यान रखना होगा। उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के साथ ही मानसिक रूप से संतुलित होना चाहिए। यहां तक कि सांस्कृतिक रीति-रिवाज और उनके पसंद-नापसंद को भी ध्यान में रखना होगा। यह प्रक्रिया बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण है क्योंकि कोई भी देश इस बारे में कोई जानकारी साझा नहीं करता। आइएएम को भरोसा है कि वह इन सभी पहलूओं को ध्यान में रखकर सफलतापूर्वक यात्रियों का चुनाव करेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो