पंजाब सरकार ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी (अपमान) के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए एक नए कानून को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इस संवेदनशील मुद्दे पर कठोर कार्रवाई का वादा किया है। इस कानून के तहत धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को कठोर सजा, जिसमें मृत्युदंड तक शामिल हो सकता है, का प्रावधान हो सकता है। यह विधेयक 10-11 जुलाई, 2025 को प्रस्तावित विशेष विधानसभा सत्र में पेश किया जा सकता है।
सीएम भगवंत मान बेअदबी के दोषी किसी भी व्यक्ति के लिए मौत की सजा के प्रस्ताव की तैयारी कर रहे है। इस मामले में सरकार कानूनी राय ले रही है। अगर सरकार को मंजूरी मिल जाती है तो विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के दौरान यह प्रस्ताव विधेयक में रखा जाएगा।
बता दें कि इससे पहले 2018 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में विधानसभा ने सर्वसम्मति से भारतीय दंड संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक 2018 और दंड प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक 2018 पारित किया, जिसमें लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान और बाइबिल को चोट पहुंचाने, क्षति पहुंचाने या अपवित्र करने के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया।
भारतीय दंड संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक 2018 में धारा 295AA को शामिल करके आईपीसी में संशोधन करने की मांग की गई थी, जिसके तहत दोषी को जुर्माने के साथ या बिना जुर्माने के अधिकतम तीन साल की कैद की सजा मिल सकती थी। इसने आईपीसी की धारा 295 के तहत सजा को दो से बढ़ाकर 10 साल की कैद कर दिया।
इस विधेयक को अमरिंदर सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। जिसे केंद्र सरकार ने लौटा दिया। केंद्र सरकार ने कहा था कि अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारत न्याय संहिता लागू कर दी गई है। उसमें ग्रंथों को लेकर जो सजाओं का प्रविधान किया गया है, उसके तहत सरकार अपना एक्ट बना ले।
Published on:
06 Jul 2025 03:43 pm