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‘विकलांग हुए सैन्य कैडेट्स पर बीमा-पुनर्वास की क्या कोई योजना है’, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने विकलांग हुए सैन्य कैडेट्स की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लिया। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार और सेना से पूछा कि उनके लिए क्या व्यवस्था है। साथ ही, कई महत्वपूर्ण बात कही। पढ़िए पूरी खबर...

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Supreme Court takes cognizance of disabled military cadets

विकलांग सैन्य कैडेट्स पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान (Photo-IANS)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रशिक्षण के दौरान विकलांग हुए सैन्य कैडेट्स (disabled military cadets) की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और सशस्त्र बलों से जवाब मांगा है। मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वतः संज्ञान के इस मामले में जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने रक्षा मंत्रालय के पूर्व सैनिक कल्याण विभाग, वित्त मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और थल, वायु तथा नौसेना प्रमुखों को नोटिस जारी किया।

अदालत ने पूछा कि क्या ऐसे कैडेट्स के लिए समूह चिकित्सा बीमा योजना या एकमुश्त मुआवजा लागू किया जा सकता है। साथ ही यह भी जानना चाहा कि स्वस्थ होने पर उनकी नई आकलन प्रक्रिया कर उन्हें किसी वैकल्पिक भूमिका में समायोजित किया जा सकता है या नहीं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ऐसे कैडेट्स की संख्या बहुत अधिक नहीं है और उनके लिए विशेष योजना बनाना सामाजिक न्याय का बड़ा कार्य होगा।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कोर्ट ने कहा कि वह प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विकलांग होने वाले कैडेटों को चिकित्सा व्यय के लिए दी जाने वाली 40,000 रुपए की अनुग्रह राशि बढ़ाने के संबंध में निर्देश मांगें।

पुनर्वास के लिए योजना पर करे विचार

इसके साथ ही कोर्ट ने इन विकलांग कैडेट्स के पुनर्वास के लिए एक योजना पर भी विचार करने को कहा। जिससे उनका इलाज पूरा होने के बाद उन्हें डेस्क जॉब या रक्षा सेवाओं से संबंधित कोई अन्य काम वापस मिल सके। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि बहादुर कैडेट सेना में रहें। हम नहीं चाहते हैं कि चोट या विकलांगता इन कैडेटों के लिए किसी तरह की बाधा बने। वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी।