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Anantnag Encounter : जहां 1000 कश्मीरी युवाओं की बदली जिंदगी, आतंकी साजिश ने वहीं ले ली कर्नल की जान

Anantnag Encounter Colonel Manpreet Singh Killed In Action : दिन मंगलवार। हर दिन की तरह राष्ट्रीय राइफल 19 के कार्यालय में कमांडिंग आफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह अपने कार्य में मशगूल थे...

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Anantnag Encounter Colonel Manpreet Singh Killed In Action

शहीद डीसीपी हुमांयू भट, कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष धनोच

Anantnag Encounter Colonel Manpreet Singh Killed In Action : दिन मंगलवार। हर दिन की तरह राष्ट्रीय राइफल 19 के कार्यालय में कमांडिंग आफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह अपने कार्य में मशगूल थे कि अचानक उन्हें अपने क्षेत्र में तीन से चार आतंकी के होने की खबर मिली। फिर क्या वह अपने साथ मेजर आशीष धनोच को लेकर निकल पड़े। जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर पूरे इलाके को घेर लिया गया और फिर तलाशी अभियान शुरू हो गया।

मंगलवार को काफी रात हो गई। क्षेत्र को घेर सुरक्षाकर्मी बैठ गए। बुधवार को सूरज की पहली किरण के साथ भारतीय सुरक्षा बलों ने फिर से आतंकियों को घेरना शुरू कर दिया और उनके काफी करीब पहुंचने लगे और फिर खुद को घिरता देख आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। आतंकियों ने भी रात में काफी समय मिलने से घने जंगलों के बीच पूरा मोर्चा बना लिया था।

फिर क्या था...।आरआर 19 सीओ कर्नल सिंह और मेजर धनोच ने मोर्चा संभाल लिया। आतंकियों की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया लेकिन आतंकी सुरक्षित होकर गोलीबारी कर रहे थे। वह ऐसी पोजीशन में बैठे थे जहां से गोली सीधे सेना की टुकड़ी पर आ रही थी। इतना ही नहीं यह आतंकी विभाजित होकर कई जगहों से गोली चला रहे थे।

इसी में एक तरफ से आई आतंकी की गोली सीधे कर्नल सिंह को लगी और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। वहीं मेजर धनोच गंभीर रूप से घायल हो गए। इन्हें तत्काल ही चेतक हेलीकॉप्टर से भारी गोलीबारी के बीच निकाला गया। अस्पताल में मेजर की भी जान चली गई।


2 माह की बेटी के पिता थे डीसीपी हुमांयू भट

आतंक के खिलाफ अनंतनाग जिले के कुकेरनाग क्षेत्र में स्थित गुरेल गांव में आतंक के खिलाफ हुई इस जंग में जम्मू और कश्मीर पुलिस के डीआईजी रहे गुलाम हसन भट के बेटे डीसीपी हुमांयू भट भी शहीद हो गए। डीसीपी भट 2 माह पहले ही बेटी के पिता बने थे। सेना के अधिकारियों ने बताया है कि अभी भी आतंकी घने जंगलों के बीच छुपे हुए हैं। यह आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का परजीवी संगठन टीआरएफ के बताए जा रहे हैं।


युवाओं के लिए कराया था क्रिकेट टूर्नामेंट

कुकेरनाग के स्थानीय निवासियों का कहना है कि कर्नल सिंह और मेजर धनचोक बेहद ही संवेदनशील और अच्छे अधिकारी थे। यही वजह है कि स्थानीय स्तर पर युवाओं और बुजुर्गों में भी काफी लोकप्रिय थे। कर्नल सिंह के कारण 1000 हजार से अधिक युवाओं को नई जिदंगी और नई सोच मिली थी। हाल ही में उन्होंने कुकेरनाग में कश्मीरी युवाओं के लिए क्रिकेट का टूनामेंट भी कराया था।
क्रिकेट टूर्नामेंट के उसी ग्राउंड से सटे क्षेत्र में बुधवार को कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर धनचोक शहीद हो गए। अनंतनाग के इस इलाके में आतंकी संगठनों में भर्ती करने के लिए युवा नहीं मिल रहे थे। कश्मीरी युवाओं से नजदीक और लोकप्रियता के कारण ही वह आतंकीआकाओं के निशाने पर भी थे। कर्नल सिंह पंजाब में रोपड़ के रहने वाले थे।


तीन साल बाद फिर कमाडिंग आफिसर शहीद

तीन साल बाद भारतीय सेना का कमाडिंग आफिसर आतंक की लड़ाई में शहीद हो गया है। इससे पहले मई 2020 में कर्नल आशुतोष शर्मा अपने पांच सैन्यकर्मियों के साथ एक आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। वह 21 राष्ट्रीय राइफल के दूसरे सीओ थे जिन्होंने आतंक की लड़ाई में अपनी शहादत दी। कर्नल आशुतोष आतंकी के खिलाफ बेहद की खतरनाक आपरेशन के लिए जाने जाते थे।


...क्या कश्मीर में लौट आया आतंक?

भारतीय सेना के सघन अभियान के बाद कश्मीर में सैंकड़ों आतंकी 72 हूरों के पास जा चुके है। आंतक की सफाई देखकर आतंकियों ने पिछले साल से पूरा बेस ही बदल दिया है। करीब एक साल की वारदातों पर नजर डालें तो आतंकियों ने पूरा तंत्र ही जम्मू के पूंछ और राजौरी शिफ्ट कर दिया है। ऐसे में अनंतनाग के कुकेरनाग में हुई यह आतंकी मुठभेड़ कश्मीर घाटी में आतंक के लौटने का संकेत माना जा रहा है। ऐसे मामलों की तहकीकात करने वाले सेना के एक अधिकारी की माने तो आतंकी पूंछ, राजौरी होते हुए दक्षिण कश्मीर की तरफ आए हैं। यह पहले भी हुआ है। यह घटना इसी बात का संकेत दे रही है।