
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर ( Jammu Kashmir ) में लगातार हो रही आतंकी घटनाओं से घबराए प्रवासी कर्मचारी ( Migrant Employees ) लगातार घाटी छोड़ रहे हैं। यही नहीं कुछ कश्मीरियों ने या तो बिना कुछ कहे नौकरी छोड़ दी है या फिर अपने ट्रांसफर की मांग की है।
कश्मीर के संभागीय आयुक्त ने कश्मीर के 10 जिलों के उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि कोई भी प्रवासी कर्मचारी घाटी छोड़कर न जाए। साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि अगर कोई अनुपस्थित रहता है, तो उसके साथ सेवा नियमों के हिसाब से कार्रवाई होगी।
घाटी में पिछले कुछ दिनों में टारगेट किलिंग बढ़ी है। अल्पसंख्यकों को आतंकवादी अपना निशाना बना रहे हैं। आम नागरिकों को सरेआम मौत के घाट उतारा जा रहा है। हालांकि सरकार इसको लेकर सख्त नजर आ रही है, लेकिन लोगों में दहशत का माहौल है। खास तौर पर अल्पसंख्यक डरे हुए हैं. यही वजह है कि घाटी में लगातार पलायन जारी है।
कश्मीरी पंड़ित जम्मू की ओर रुख कर रहे हैं। सरकारी नौकरी कर रहे लोगों ने अपने ट्रांसफर की भी मांग की है।
हालांकि कुछ अधिकारियों ने कहा है कि वे सरकार के आदेश का इंतजार करेंगे।
बता दें कि कुछ ही दिनों पहले सिख प्राचार्य और कश्मीरी हिंदू शिक्षक की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद अल्पसंख्यक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई कर्मचारियों ने घाटी छोड़ दी थी।
इन लोगों का कहना था कि प्रशासन ‘असंवेदनशील’ हो रहा था। जम्मू वापसी कर चुके कई लोग घाटी में काम के लिए लौटने को लेकर सतर्क हैं। जबकि, कुछ ने अभी के लिए यहां नहीं आने का फैसला किया है।
एक कर्मचारी ने बताया कि, ‘अपनी जान की जोखिम के डर के कारण कर्मचारी जम्मू आए हैं। उनका डर दूर करने, जरूरी सुरक्षा इंतजाम करने, सुरक्षा का भरोसा देने के बजाए प्रशासन उन्हें सेवा नियमों के अनुसार कार्रवाई की धमकी देता है।’
एक अन्य अल्पसंख्यक ने कहा, ‘हो सकता है कि आदेश अच्छे मकसद के साथ जारी किए गए हों, लेकिन कई कर्मचारी अपने खुद के खर्च पर दक्षिण कश्मीर में किराय की जगह पर रह रहे हैं।
दरअसल हाल में आयुक्त पांडुरंग पोल की तरफ से बुलाई गई थी, जिसमें ‘संरक्षित व्यक्तियों’ की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा और सरकारी आवास की पहचान को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने मीटिंग में मौजूद लोगों से कहा कि आयुक्त कार्यालय के जरिए ‘संरक्षित व्यक्तियों’ को श्रीनगर के 14 होटलों में दिए जा रहे आवास को 5 अक्टूबर से ‘निरस्त माना जाएगा।’
उन्होंने यह भी आदेश दिए कि जिले में मजदूर, कुशल मजदूरों जैसे गैर-प्रवासी अल्पसंख्यक आबादी की पहचान की जाए और उनकी नियमित रूप से बातचीत के साथ उनकी सुरक्षा की व्यवस्था की जाए।
Published on:
13 Oct 2021 12:37 pm
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