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कारगिल युद्ध के हीरो दीपचंद और उदय सिंह की कहानी, जंग में हाथ-पैर गंवाए, लेकिन हौसला अब भी बुलंद

Kargil War 1999: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध 1999 से जुड़ी कई ऐसी यादें हैं, जिन्हें याद कर आज भी रोम-रोम देशभक्ति में जाग जाता है। इसी महीने की 26 तारीख को कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं कारगिल युद्ध के हीरो की कहानियां। आज जानिए कारगिल युद्ध के हीरो दीपचंद और उदय सिंह की कहानी।

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कारगिल युद्ध के हीरो दीपचंद और उदय सिंह की कहानी

कारगिल युद्ध के हीरो दीपचंद और उदय सिंह की कहानी

Kargil War Heroes Deepchand and Uday Singh: सोशल मीडिया पर यह तस्वीर आपने कई बार देखी होगी। दोनों पैर गंवा चुके इन दो जाबांजों को तस्वीरें गाहे-बगाहे खूब वायरल होती है। ये दोनों भारतीय सेना के जवान हैं। जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी का परचम लहाराया था। युद्ध में हाथ-पैर गंवाने के बाद भी आज ये दोनों बुलंद हौसले के साथ देशसेवा में समर्पित हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेनाओं ने जिस शौर्य और अदम्‍य साहस का परिचय दिया था, उसमें इन दोनों का नाम भी शामिल है। हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।

इस मौके पर पत्रिका कारगिल युद्ध के उन योद्धाओं की कहानियां लेकर आया है, जिन्होंने इस युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों को नेस्तोनाबूद कर दिया था। 'कारगिल युद्ध के हीरो' (Kargil War Heroes) इस विशेष सीरीज में आज जानिए दीपचंद और उदय सिंह (Deepchand and Uday Singh) की कहानी।


कारगिल युद्ध के हीरो- दीपचंद और उदय सिंह

तस्वीर में दोनों पैर गंवा चुके दिख रहे इन दोनों जाबांजों का नाम दीपचंद और उदय सिंह है। दोनों भारतीय सेना में थे, कारगिल युद्ध के दौरान पूरे साहस से दुश्मनों से लड़े। इस जंग में अपना हाथ-पैर खो दिया लेकिन आज भी देशसेवा में बुलंद हौसले के साथ समर्पित हैं। अब ये दोनों सेना से रिटायर हो चुके हैं। दोनों अब ड्यूटी के दौरान विकलांग हुए सैनिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।


तोलोलिंग पर पहला गोला दागने वाले जवान

कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन विजय’ में तोलोलिंग के ऊपर सबसे पहला गोला दागने वाले जवान दीपचंद ही थे। इस दौरान उन्होंने पाक सेना की अंधाधूंध गोलीबारी के बीच न केवल खुद की जान बचाई, बल्कि अपने कई साथियों जिंदा वापस लाए। इस जंग में उन्होंने अपना एक हाथ और दोनों पैर खो दिया था। दीपचंद अब प्रोस्थेटिक पैरों के सहारे अपना काम करते हैं।


सीडीएस बिपिन रावत ने कारगिल योद्धा की दी थी उपाधि

दीपचंद सिंह को भूतपूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कारगिल योद्धा की उपाधि देकर सम्मानित किया था। यह सम्मान उन्हें कारगिल विजय दिवस के दौरान दिखाए गए बहादुरी के लिए मिला था। दीपचंद आज ‘आदर्श सैनिक फ़ाउंडेशन’ के ज़रिए ड्यूटी के दौरान विकलांग हुए सैनिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।


साथियों की शहादत के बाद पाकिस्तानी सैनिकों पर काल बनकर टूटे थे उदय सिंह

10 साथियों की शहादत के बाद भी उदय सिंह ने साहस का परिचय दिखाते हुए न केवल कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, बल्कि अपने कई साथियों की जान भी बचाई। हालांकि इस जंग में उन्होंने अपने दोनों पैर गंवा दिए।

उदय सिंह आज अपने साथी दीपचंद के साथ मिलकर ‘आदर्श सैनिक फ़ाउंडेशन’ के ज़रिए ड्यूटी के दौरान विकलांग हुए सैनिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। दीपचंद और उदय की कहानी युवाओं को प्रेरणा देने वाली है। साथ ही इन दोनों का जीवन यह भी बताता है कि कैसा ही मुश्किल समय हो हिम्मत नहीं हारना चाहिए।

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