कर्नाटक सीएम रेस का ताजा अपडेट, शपथ कल, सिद्दारमैया का दावा मजबूत
कर्नाटक सीएम रेस पर ताजा अपडेट यह है कि राज्य में मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण के लिए 18 मई की तारीख तय कर दी गई है। आज दिल्ली में सीएम पद के दोनों उम्मीदवार सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने राहुल गांधी, अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खरगे से मुलाकात की। जिसके बाद सिद्धारमैया को सीएम और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया है। इस पर आधिकारिक फैसला आज शाम तक आ सकता है।
शिवकुमार का दावा कहां पड़ा कमजोर
शिवकुमार पर दर्ज मुकदमें उनके सीएम बनने में आड़े आ रहे हैं। डीके शिवकुमार के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि, सीबीआई, ईडी और आईटी के निशाने पर हैं। और यह कयास लगाए जा रहे हैं कि, उनके सीएम न बनने की यह बड़ी वजह है। करप्शन के मामले में डीके शिवकुमार पहले जेल भी जा चुके हैं। दूसरी ओर सिद्धारमैया का छवि साफ है। उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है।
सीएम की खींचतान से उठ रहे ये सवाल
कांग्रेस में सीएम पद को लेकर होकर माथापच्ची पर पहला और बड़ा सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस में सीएम पद पर इतनी खींचतान क्यों होती है? दूसरा सवाल यह है कि कांग्रेस भाजपा की तरह सीएम पद पर तुरंत निर्णय क्यों नहीं ले पाती? तीसरा सवाल यह है क्या कांग्रेस आलाकमान के फैसलों को पार्टी के नेता एकमत होकर मानते हैं? कर्नाटक में सीएम पद की मौजूदा खींचतान क्या मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसी स्थिति पैदा कर सकती है?
पहले कहां कांग्रेस में सीएम के लिए हुई खींचतान
कर्नाटक के हालात तो सबके सामने है। लेकिन ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर ऐसी खींचतान पहली बार मची है। इससे पहले भी कांग्रेस में सीएम फेस को लेकर कई बार खींचतान हुई है। जिसके कारण पार्टी को अपनी सत्ता भी गंवानी पड़ी है। जानिए पहले कब और कहां कांग्रेस में सीएम को लेकर खींचतान मची थी।
हिमाचल में भी सीएम को लेकर मची थी खींचतान
पिछले साल गुजरात के साथ हिमाचल में चुनाव हुए। वोटों की गिनती में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला। लेकिन हिमाचल की जीत के बाद यहां सीएम को लेकर कई कांग्रेस में भारी उठापटक मची। हिमाचल कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ-साथ कई और नाम उछले। आखिरकार कई दिनों की खींचतान के बाद सुक्खू को सीएम बनाया गया। राज्य में अभी सुखविंदर की सरकार चल रही है।
पंजाब में इसी कारण पार्टी को मिली करारी हार
पंजाब में चुनाव पूर्व कांग्रेस में सीएम और नेतृत्व को लेकर भारी उठापटक मची थी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। नाराज होकर अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी बना ली। लेकिन चुनाव में कैप्टन के साथ-साथ कांग्रेस को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ा। यहां आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई।
राजस्थान में चल रही गहलोत और पायलट की जंग
राजस्थान में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है। चुनाव से पहले इस समय राजस्थान कांग्रेस में भारी तानातनी चल रही हैं। एक और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत हैं तो दूसरी ओर सचिन पायलट। पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ पदयात्रा निकाल रहे हैं। इससे पहले भी पायलट के साथ मिलकर कुछ विधायकों ने बागी तेवर अपनाया था। लेकिन तब जैसे-तैसे स्थिति को संभाल लिया गया था। राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट की फाइट में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
एमपी में भी कांग्रेस को उठाना पड़ा था नुकसान
2018 में एमपी में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाई। मुख्यमंत्री कमल नाथ बनाए गए। लेकिन कमलनाथ के सीएम बनाए जाने के कुछ दिनों बाद ही यहां कांग्रस में विद्रोह मच गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहले सीएम बनने की कोशिश की। लेकिन जब उनकी कोशिश नाकाम हुई तो उन्होंने भाजपा ज्वाईन कर लिया। इसी बीच भाजपा ने कुछ विधायकों को साथ मिलाते हुए एमपी में अपनी सरकार बना ली।
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डीके शिवकुमार हो सकते हैं कर्नाटक के नए ‘पायलट’
डीके कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के मैन ऑफ द मैच
कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत के मैन ऑफ द मैच डीके शिवकुमार को माना जा रहा है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस यहां इतनी बड़ी जीत हासिल कर सत्ता में आई है। लेकिन यदि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो यह संभव है कि आने वाले दिनों में वो नए पायलट बन सकते हैं। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में मची सीएम पद की खींचतान पर भाजपा नजर गड़ाए हैं।
पार्टी को मां समान बताते हुए फैसला आलाकमान पर छोड़ा
दूसरी ओर डीके की ओर से अभी तक कोई बगावती संकेत नहीं दिया गया है। वो पार्टी को मां समान बताते हुए फैसला आलाकमान के भरोसे छोड़ हैं। इस खींचतान के बीच डीके यह कह चुके हैं कि मैं कोई ब्लैकमेल नहीं करुंगा। हालांकि डीके शिवकुमार ने मंगलवार को पार्टी नेतृत्व से मुलाकात कर सिद्धारमैया की कमियां गिनाई थीं।
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डीके ने खरगे को गिनाई थी सिद्धारमैया की कमियां
सूत्रों के मुताबिक, शिवकुमार ने खरगे को बताया था कि सिद्धारमैया का पिछला कार्यकाल अच्छा नहीं रहा था। लिंगायत समुदाय भी उनके खिलाफ है. उन्होंने कहा था, अगर सिद्धारमैया को पहले सीएम बनाया जा चुका है, तो अब किसी और को मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए। शिवकुमार ने खड़गे को बताया था कि 2019 में गठबंधन टूटने का कारण भी सिद्धारमैया थे।
मैंने पार्टी को दोबारा खड़ा किया, मुझे मौका मिलना चाहिएः डीके
उन्होंने साफ शब्दों में कहा था, यह मेरे मुख्यमंत्री बनने का समय है और आलाकमान को मुझे मौका देना चाहिए। मैंने 2019 के बाद पार्टी को दोबारा खड़ा किया। यदि पार्टी मुझे मुख्यमंत्री पद देती है तो मैं इसे जिम्मेदारी के रूप में लूंगा जैसा मैंने प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किया था, नहीं तो मैं सिर्फ एक विधायक बना रहूंगा। डीके के इन बयानों पर गौर करें तो ऐसी संभावना बनती नजर आती है कि वो कर्नाटक में कांग्रेस के नए पायलट बन सकते हैं।