
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने करीबी मंत्रियों के साथ रात्रिभोज किया (Photo-IANS)
Karnataka Dinner Politics: कर्नाटक मुख्यमंत्री ने हाईकमान को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। कर्नाटक में चल रहे राजनीतिक प्रकरण ने देश में राजनीति खिंचतान का उदाहरण पेश किया है। एक ओर कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री (Deputy CM) डी.के. शिवकुमार, मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी अपने पद पर बने हुए हैं। कर्नाटक में कुर्सी की लड़ाई के चलते कई बैठकें हो चुकी हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक रात्रिभोज में शामिल हुए, जिसने राजनीतिक संघर्ष को और मजबूत किया है।
सिद्धारमैया ने यह रात्रिभोज अपने करीबी नेता और विधायकों के साथ किया था। यह रात्रिभोज सिद्धारमैया के विधानसभा को संबोधित करने से कुछ ही घंटे पहले ही हुआ है।
जानकारी के अनुसार, यह रात्रिभोज मंत्री सतीश जारकीहोली के आवास पर आयोजित हुआ था। जारकीहोली द्वारा आयोजित इस रात्रिभोज में वरिष्ठ मंत्री जी परमेश्वर, एच.सी. महादेवप्पा, जमीर अहमद खान, एम.सी. सुधाकर और कांग्रेस विधायक ए.एस. पोन्नाना सहित कई और मंत्री भी शामिल हुए थें। इन नेताओं को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का करीबी माना जाता है। साथ ही इन्हें पार्टी के अंदर सिद्धारमैया के मुख्य समर्थक समूह का हिस्सा माना जाता है।
सिद्धारमैया द्वारा किए गए रात्रिभोज पर कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार से सवाल पूछा गया। उन्होंने इस रात्रिभोज को ज्यादा महत्व नहीं दिया। शिवकुमार ने इस पर सीधी प्रतिक्रिया दी, उन्होंने कहा, "उन्हें मिलने दो, मुझे खुशी है। क्या हम कह सकते हैं कि उन्हें खाना नहीं खाना चाहिए? मुझे इसकी चिंता क्यों करनी चाहिए?" सवालों का जवाब देते हुए, शिवकुमार ने सीधा संदेश दिया की उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता हैं।
इस रात्रिभोज के बाद, राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई थीं। साथ ही विभिन्न तरह के कयास लगाए जाने लगे। हालांकि मुख्यमंत्री के कानूनी सलाहकार ए.एस. पोन्नाना ने रात्रिभोज पर हुई बैठक की स्थिति को साफ किया। मीडिया से बात करते हुए पोन्नाना ने स्पष्ट किया कि बैठक में सात से आठ नेता मौजूद थे, लेकिन बैठक का माहौल बिल्कुल अनौपचारिक था। पोन्नाना ने कहा कि मैं भी बैठक में शामिल हुआ था। मैंने भी भोजन किया था।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री वहां मौजूद थें, लेकिन उनकी तबीयत थोड़ी खराब थी और वह ज्यादा देर तक बैठक में नहीं रुके। साथ ही उन्होंने स्थिति को साफ करते हुए कहा कि बैठक में पार्टी को मजबूत करने के अलावा कोई और विशेष राजनीतिक चर्चा नहीं हुई थी।
बता दें कि बैठक को कर्नाटक में चल रही नेतृत्व की खींचतान को खत्म करने और विशेषकर 8 दिसंबर को शुरू हुए बेलगावी विधानसभा सत्र से पहले, सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का संकेत देने के प्रयासों के रूप में देखा गया।
Published on:
19 Dec 2025 06:15 pm
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