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कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा निर्देश, रेप पीड़िता के मेडिकल के समय प्रेग्नेंसी की भी जांच करे प्रशासन

Karnataka High Court: कर्नाटक हाईकोर्ट ने रेप की शिकार पीड़िताओं के प्रेग्नेंसी जांच का निर्देश दिया है।

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  Karnataka High Court order administration should also check the pregnancy of the rape victim at the time of medical

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक जजमेंट में ब़ड़ा आदेश दिया है। जस्टिस सूरजगोविंदराज ने एक रेप पीड़िता को गर्भात की अनुमति देने के साथ ही कहा आइ पी सी और पोक्साे के तहत बलात्कार के मामलों में पीडि़ता के मेडिकल परीक्षण के दौरान यह भी जांच की जानी चाहिए कि वह गर्भवती तो नहीं है। गर्भवती पाए जाने पर पीडि़ता के परिजनों को इसके बारे में सूचित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने बलात्कार और यौन अपराधों के पीड़ितों के मामले में मेडिकल जांच आदि के बारे में दिशा निर्देश जारी किया है।

रेप पीड़िता ने दायर की थी याचिका

इस मामले में नाबालिग और उसके पिता ने पीडि़ता की 24 सप्ताह से ज्यादा की गर्भावस्था होने पर गर्भ समापन की मांग करते हुए याचिका पेश की थी। कोर्ट ने कहा कि गर्भावस्था का विलंब से पता चलने पर पीडि़ता को थोपे हुए गर्भ के समापन की अनुमति के लिए कोर्ट आना पड़ता है। ऐसे कई मामले आते हैं।

यह दिशा निर्देश

पीडि़ता के मेडिकल के साथ गर्भावस्था परीक्षण व उसकी अवधि की जांच हो। पीडि़ता की शारीरिक व मानसिक स्थिती का आकलन हो। गर्भावस्था के बारे मे पीडि़ता व उसके परिजनाें को उसे समझ में आने वाली भाषा में जानकारी व कानूनी विकल्प बताए जाएं। बाल कल्याण समिति या संबंधित निकाय को सूचित करें। गर्भपात के मामले में भ्रूण के नमूने का डीएनए परीक्षण कर उसे सुरक्षित रखें। पीड़िता के स्वास्थ्य और मानसिक उपचार के लिए आगे भी जांच हो। पुलिस एवं प्रशासन ऐसे मामलों के लिए प्रक्रिया तय करें। पीडि़ता को जरूरी मुआवजा मिले।

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