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लालकृष्ण आडवाणी: कराची का लाडला बना भारत रत्न

Lal Krishna Advani: भारत सरकार ने लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान दिया है। आइए जानते हैं लालकृष्ण आडवाणी की कैसी रही राजनीतिक यात्रा…

Feb 03, 2024 / 01:33 pm

Anand Mani Tripathi

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Lal Krishna Advani: लाल कृष्ण आडवाणी। अब भारत के 50वें रत्न हो गए हैं। उम्र 96 साल। पाकिस्तान के कराची में जन्म लेकिन 1947 बंटवारे में सरहद से सटे राजस्थान की राजधानी जयपुर आ गए। 21 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय गोपाल जी का रास्ता से राजनीति का ककहरा सीखा और फिर कुछ दिन अलवर में नई अलख जगाई।
सेंट पैट्रिक में पढ़ाई के कारण अंग्रेजी दुरूस्त थी तो संघ ने दिल्ली में राजनीति कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी की सहायता के लिए भेज दिया गया। यहीं से आडवाणी की राजनीतिक अंगड़ाई ने ऐसा स्वरूप धारण जिसने कांग्रेस के एकाधिकार को खत्म करने का काम किया। 90 के दशक में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को ऐसी हवा दी कि राजनीति की हवा बदल गई।
भारत की राजनीति में अटल-आडवाणी जोड़ी ने वो इतिहास लिखा जिससे भारतीय जनता पार्टी का परचम अब पूरे देश में लहरा रहा है। भाजपा की इमारत जिन ईंटों पर बुलंद है उसकी नींव में एक पत्थर आडवाणी के भी नाम है। भारत जिस समय अपनी आजादी का अमृत काल मना रहा है ठीक उतना ही समय लालकृष्ण आडवाणी को राजनीतिक जीवन में हो चुका है।
पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को तेवर की तासीर का नेता माना जाता रहा जो अपने कार्यकर्ताओं से कहता था कि मारक क्षमता जरूरी है 90 के दशक में सोमनाथ से अयोध्या की पहली रथयात्रा कि और फिर इसके बाद भाजपा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। भाजपा संपूर्ण प्रभुत्व के साथ मजबूती से खड़ी है।

सबसे अधिक समय तक भाजपा अध्यक्ष
लालकृष्ण आडवाणी सबसे अधिक तीन बार भाजपा अध्यक्ष रहे। 2005 में हुई पाकिस्तान यात्रा में पाकिस्तान संस्थापक जिन्ना को धर्म निरपेक्ष बताए जाने पर संघ के दबाव में आडवाणी को भाजपा अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। आडवाणी चार बार राज्यसभा के और सात बार लोकसभा के सदस्य रहे। 1977 से 1979 तक पहली बार कैबिनेट मंत्री सूचना प्रसारण बने। 1999 में केन्द्रीय गृहमंत्री बने और फिर 29 जून 2002 को उप प्रधानमन्त्री पद का सौंपा गया।

कांग्रेस की आंधी में भी जीते
लोकसभा चुनाव 1985। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बहुत तेज सहानुभूति की लहर चल रही थी। इस लहर में भाजपा के करीब सभी दिग्गज नेता चुनाव हार गए। इस चुनाव में भी आडवाणी ने जीत दर्ज की थी। 2009 में लोकसभा चुनाव आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन इसमें पार्टी को जीत नहीं मिली।

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