30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खत्म हो गईं बंदूक की गोलियां तो करम सिंह ने इस तरह से दुश्मनों को उतारा मौत के घाट, आज भी इस नाम से खौफ खाता है Pakistan

Lance Naik Karam Singh: पाकिस्तान ने लगातार करीब 8 बार लांस नायक करम सिंह की पोस्ट पर कब्जे की कोशिश की, मगर पाकिस्तानी सैनिक उनके जज्बे को मात नहीं दे सके। ऐसे में दुश्मन आगबबूला हो गए और वो समझ गए थे कि जब तक लांस नायक करम सिंह पोस्ट पर मौजदू हैं, तब तक वो इस पर कब्जा नहीं कर पाएंगे।

2 min read
Google source verification

Lance Naik Karam Singh Pakistan War: लांस नायक करम सिंह एक ऐसे योद्धा थे, जिसने अकेले ही पाकिस्तानी दहशतगर्दों के टिथवाल पर कब्जा करने के सपनों को नेस्तनाबूत कर दिया था। इतना ही नहीं करमवीर सिंह परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले दूसरे शूरवीर थे और वो पहले ऐसे जाबांज थे, जिन्हें जीवित रहते हुए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 15 सितंबर को पंजाब के बरनाला में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे करम सिंह ने कहां सोचा होगा कि देश को आजादी मिलने के बाद जब तिरंगा फहराने की बात आएगी तो उसमें उनका नाम भी शमिल होगा। आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय ध्वज फहराने के लिए जिन पांच सैनिकों को चुना था, उसमें करम सिंह का नाम भी था।

करम सिंह भी अपने पिता की तरह किसान बनना चाहते थे। लेकिन, अपने गांव के प्रथम विश्व युद्ध के दिग्गजों की कहानियां सुनी और उससे प्रेरित होकर सेना में शामिल होने का मन बनाया। 15 सितंबर 1941 को सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन में भर्ती हुए। 13 अक्टूबर 1948 वह तारीख है, जब पाकिस्तान ने बंटवारे के बाद कश्मीर में धोखे से अटैक कर दिया था और घाटी के टिथवाल की रीछमार गली से भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने का नापाक प्रयास किया था। लेकिन, मौके पर मौजूद सिख रेजिमेंट के एक जवान ने कामयाब नहीं होने दिया। फॉरवर्ड प्वाइंट पर मौजूद इस जवान ने अपनी बंदूक से पाकिस्तान के सैनिकों को हर बार मुंहतोड़ जवाब दिया।

पाकिस्तान ने लगातार करीब 8 बार लांस नायक करम सिंह की पोस्ट पर कब्जे की कोशिश की, मगर पाकिस्तानी सैनिक उनके जज्बे को मात नहीं दे सके। ऐसे में दुश्मन आगबबूला हो गए और वो समझ गए थे कि जब तक लांस नायक करम सिंह पोस्ट पर मौजदू हैं, तब तक वो इस पर कब्जा नहीं कर पाएंगे। ऐसे में पाकिस्तानी सैनिकों ने हमला तेज कर दिया। इसी दौरान करम सिंह बुरी तरह से जख्मी हो गए थे।

पाकिस्तान के आठवें हमले को भी किया नाकाम

लेकिन उन्होंने घुटने नहीं टेके और डटकर पाकिस्तानी सैनिकों का मुकाबला करते रहे। उन पर ग्रेनेड भी फेंकते रहे। वह अकेले एक कंपनी की तरह दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देते रहे। बताया जाता है कि शूरवीर करम सिंह के पास गोलियां खत्म हो गई थी।उन्होंने दुश्मनों को खंजर से मौत की नींद सुला दिया था और अंत में उन्होंने पाकिस्तान के आठवें हमले को भी नाकाम कर दिया था। इस तरह से उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के टिथवाल पर कब्जा करने के सपने को पूरा नहीं होने दिया।

सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान परमवीर चक्र से भी नवाजा गया

उनकी वीरता और अदम्य साहस को साल 1950 में भारत का सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान परमवीर चक्र से भी नवाजा गया था। इसके अलावा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा कैंपेन में बहादुरी दिखाने के लिए लांस नायक करम सिंह को मिलिट्री मेडल से भी सम्मानित किया गया। बाद में वो सूबेदार के पद पर पहुंचे और सितंबर 1969 में रिटायर होने से पहले उन्हें मानद कैप्टन का दर्जा भी मिला। लांस नायक करम सिंह उन चंद सैनिकों में रहे, जिन्होंने खुद अपने हाथों से परमवीर चक्र प्राप्त किया और लंबा जीवन जीते हुए 1985 में अपने गांव में अंतिम सांस ली।