
कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता है। लेकिन सत्ता का स्वाद ही ऐसा है कि सियासी अदावत होने लगे तो खून के रिश्ते ही एक दूसरे को चुनौती देने लगते हैं। यह सब इस बार के लोकसभा और चार राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल रहा है। पद का सुख भोगने के लिए पिता-पुत्र एक दूसरे को ललकार रहे हैं। सियासी इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है कि मां-बेटे आमने-सामने हो जाते हैं। पति अपना धर्म भूल जाता है तो पत्नी घर की देहरी लांघ कर पति को सबक सिखाने राजनीति में आ जाती है। भाई-भाई और भाई-बहन रिश्ते भुला कर एक दूसरे को जमीन दिखाने के लिए दांव-पेंच अजमाते हैं। इस बार भी ससुर-दामाद, चाचा-भतीजा तथा देवरानी-जेठानी, ननद-भाभी एक दूसरे के सामने ताल ठोक रहे हैं। सत्ता संघर्ष जब चरम पर पहुंचता जाता है तो पार्टी के साथ परिवारों को भी तोड़ देता है।
बेटे को हराने तक की हो रही अपील
कांग्रेस के दिग्गज नेता ए.के एंटोनी भाजपा से दक्षिण केरल से चुनाव मैदान में डटे अपने बेटे अनिल एंटोनी को हराने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि वे बेटे को चुनाव हरा दें। उधर ओडिशा में कांग्रेस नेता सुरेश राउत्रे के बेटे मनमथ राउत्रे बीजद से भुवनेश्वर से चुनाव मैदान में हैं। इसी तरह कांग्रेस के दिग्गज नेता चिंतामणी के दोनों बेटे मनोरंजन और रविंद्रनाथ चिकीटी विधानसभा क्षेत्र में आमने-सामने हैं। उधर भाजपा नेता विजय महापात्र के बेटे अरविंद महापात्र भी बीजद से चुनाव मैदान में हैं।
अलग-अलग राह
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने भाई स्वपन्न बनर्जी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उद्धव और राज ठाकरे तथा सुप्रिया सूले और अजीत पंवार अलग-अलग राह पर चल रहे हैं। चौटाला परिवार में भी भाई-भाई आमने सामने हैं। पूर्व में सिंधिया परिवार के सदस्य अलग-अलग दलों में रह चुके हैं। तमिलनाडु में स्टालिन और उनके भाई अलगिरी के सियासी कदमों की चर्चा भी जग जाहिर है।
पीछे खींचे कदम
बिहार में पशुपति पारस अपने भतीजे चिराग पासवान के खिलाफ नजर आ रहे थे। एक बार तो यह तय हो गया था कि वे चिराग के खिलाफ खड़े होंगे, लेकिन उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए।
अब राजनीति में आमने सामने
बिष्णुपुर सीट से भाजपा के सौमित्र खान के खिलाफ टीएमसी से सुजाता मंडल चुनाव मैदान में हैं। ये पूर्व में पति-पत्नी थे, इनका तलाक हो चुका है। पिछले चुनाव में सुजाता मंडल ने सौमित्र खान के लिए प्रचार का जिम्मा संभाला था। 2022 में दोनों औपचारिक तौर पर अलग हो गए थे। मध्यप्रदेश के बालाघाट में पूर्व सांसद और फिलहाल बसपा के लोकसभा प्रत्याशी कंकर मुंजारे की पत्नी दूसरी पार्टी में है। इस कारण वे अपना घर छोड़कर चले गए। पत्नी अनुभा मुंजारे यहीं से कांग्रेस विधायक हैं और वे अपनी पार्टी के प्रत्याशी का चुनाव प्रचार कर रही हैं।
Updated on:
13 Apr 2024 08:54 am
Published on:
13 Apr 2024 08:50 am
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
